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NCR में बंद होंगे दो तिहाई ईंट भट्‌ठे, रोजगार और ईंटों के रेट पर होगा असर

कोयले के रेटों में 4 गुना वृद्धि के बाद अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के नए आदेशों से ईंट-भट्‌ठों के भविष्य पर खतरा मंडरा गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए NGT ने एरिया के दो तिहाई ईंट भट्ठों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। NGT के इन आदेशों का असर 14 जिलों में बने हुए ईंट-भट्ठों पर होगा। बचे हुए ईंट-भट्‌ठों को चलाने की मंजूरी भी फरवरी के बाद ही मिल पाएगी। इससे भट्ठों पर काम करने वाले सैंकड़ों मजदूरों व ईंटों के रेट पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

बीते कुछ ही महीनों में कोयले के रेट भी छह हजार टन से बढ़कर 22 हजार टन तक जा पहुंचे हैं। अगर भट्‌ठे बंद होते है तो ईंटों का रेट भी छह हजार से बढ़कर 8 हजार तक जा सकता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हरियाणा के 14 जिलों में फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल शामिल हैं और इस एरिया में करीबन दो हजार ईंट-भट्‌ठे हैं।

NGT के नए निर्णय के अनुसार एनसीआर में सिर्फ एक तिहाई भट्ठे ही एक साल तक चलेंगे। ईंट भट्ठे कौन से चलेंगे, इसका फैसला भी ड्रा के द्वारा गठित कमेटी करेगी। यानि ईंट भट्ठे एनसीआर में दीवाली के बाद नहीं बल्कि ड्रा होने के बाद मार्च में चलाए जाएंगे। एरिया में आने वाले ईंट-भट्‌ठों को डीसी की अध्यक्षता में नियुक्त कमेटी द्वारा नंबर देते हुए ड्रा निकाला जाएगा। जिन भट्‌ठों का नंबर ड्रा में आ जाएगा वह उस साल चलेंगे और फिर अगले दो साल तक लगातार बंद रहेंगें।

एनजीटी ने पर्यावरण के मध्यनजर प्रदूषण को कम करने के लिए सरकारों को ठोस कदम उठाने के साथ साथ प्रदूषण रहित गाइडलाइन एनसीआर क्षेत्र में जारी की हुई है। एनजीटी के आदेशों में उलझे ईंट भट्ठा मालिकों ने नई पद्धति जिंग जैग को अपनाया और लाखों रुपये उस पर खर्च किए हैं बावजूद इसके ईंट भट्ठा चलने पर संशय बना हुआ है। अगर करनाल, भिवानी, जींद एरिया को एनसीआर एरिया से बाहर कर दिया जाता है तो भट्ठा संचालकों को थोड़ी राहत मिल सकती है।

एनसीआर के दायरे को कम करने की मांग
हरियाणा प्रदेश ईंट भट्ठा स्वामी एसोसिएशन के प्रधान दलबीर पंवार व दिनेश चहल ने बताया कि आधुनिकरण के नाम पर लाखों रुपये ईंट भट्ठों पर खर्च हुए। अब एक तिहाई भट्ठे चलाने के बारे में कहा गया है। यानि एक साल भट्ठा चला तो उसका चार साल बाद दोबारा नंबर आएगा। तब तक मजदूर क्या करेंगे और ईंट भट्ठा मालिक क्या करेंगे।

सरकार को चाहिए कि एनसीआर के दायरे को कम करें ताकि लोगों को आशियाना बनाने में दिक्कत न हो। जिला खादय एवं आपूर्ति अधिकारी विरेंद्र सिंह ने बताया कि एनजीटी के आदेशों की पालना करते हुए वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए ईंट भट्ठों को लेकर कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। एक तिहाई ईंट भट्ठे एनसीआर के पहले वर्ष चलेंगे, जिनका फैसला ड्रा के माध्यम से होगा।

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