हिसार: अब हरियाणा में अनुबंध पर लगे कर्मचारियों (Employees) के भविष्य निधि (Provident Fund) की जिम्मेदारी सरकारी विभाग (government department) ठेकेदारों पर डालकर नहीं बच सकेंगे। क्योंकि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने इस बार अपने एक फैसले में सरकारी विभाग को भी कड़ा संदेश दिया है।
दरअसल हिसार में ईपीएफओ ने अनाज मंडी स्थित हरियाणा स्टेट मार्केटिंग बोर्ड (Haryana State Marketing Board) के मार्च 2007 से लेकर अगस्त 2016 तक की अवधि में अनुबंध पर लगे कच्चे कर्मचारियों (raw employees) के पीएफ की जांच की। जिसमें वर्ष 2007 से लेकर 2013 तक लगे कर्मचारियों को पीएफ ही नहीं दिया गया। ठेकेदार ने कर्मचारियों को पीएफ नहीं दिया तो नियोक्ता एचएसएएमबी विभाग भी इस अंतराल में मौन बना बैठा रहा।
जबकि विभाग की भी जिम्मेदारी थी कि वह अपने कर्मचारियों को पीएफ दिलवाए। इस मामले को ईपीएफओ विभाग के एक इंस्पेक्टर ने उठाया था, जिसके बाद मामले में पिछले करीब पांच वर्षों से न्यायिक जांच चल रही थी। अब 14 वर्ष बाद इस मामले में कर्मचारियों के साथ न्याय होने जा रहा है।
ईपीएफओ की न्यायिक जांच के बाद जांच अधिकारी और क्षेत्रिय पीएफ कमिश्नर (Regional PF Commissioner)- द्वितीय केसी जोशी ने फैसला सुनाया है। उन्होंने बकाया 5 लाख से अधिक पीएफ की धनराशि हरियाणा एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड (Haryana Agriculture Marketing Board) और सेक्टर 13 स्थित सरकारी ठेकेदार और सप्लायर मैसर्स सुरेश कुमार चुघ को तत्काल जमा कराने के आदेश दिए हैं।
अब आगे क्या होगा
अगर हरियाणा स्टेट मार्केटिंग बोर्ड (एचएसएएमबी) या ठेकेदार यह धनराशि जमा कराने में जिजनी अधिक देरी करेंगे तो उतना ही अधिक उन्हें ब्याज और जुर्माना भी भुगतना पड़ेगा। इससे पहले भी बरवाला नगर पालिका को ईपीएफओ ने अपने फैसले में कर्मचारियों का पीएफ जमा कराने के आदेश दिए थे। इसके बाद विभाग काफी चर्चा का विषय बन गया था। न्यायिक जांच के दौरान इस मामले की पैरवी इन्फोर्समेंट अफसर और प्रवर्तन अधिकारी अनुरंजन कपूर (Anuranjan Kapoor) की तरफ से की गई।
जांच के दौरान दस्तावेज भी ठीक नहीं मिले
ईपीएफओ की न्यायिक जांच के दौरान जब हरियाणा स्टेट मार्केटिंग बोर्ड (एचएसएएमबी) ने रिकार्ड चैक किया ताे कई जानकारी तो जांच अधिकारियों को मिली ही नहीं। कर्मचारियों की हाजिरी तक का रिकार्ड मार्केटिंग बोर्ड नहीं दिखा पाया। गौरतलब है कि पीएफ अधिकारी को पीएफ के मामलों की सुनवाई के वह अधिकार प्राप्त होते हैं जोकि एक अदालत को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत दावे सुनवाई के लिए होते हैं।
माह- मजदूरी (रुपये)- पीएफ(रुपये)
अप्रैल 2007- 36076- 9239
मई 2007- 38044- 9742
जून 2007- 45288- 11599
जुलाई 2007- 44244- 11330
अगस्त 2007- 65874- 16871
सितंबर 2007- 89887- 23019
अक्टूबर 2007- 74382- 19049
नवंबर 2007- 107220- 27458
दिसंबर 2007- 141978- 36360
जनवरी 2008- 134418- 34424
फरवरी 2008- 158431- 40575
मार्च 2008- 146268- 37459
अप्रैल 2008- 145344- 37233
मई 2008- 111812- 28634
जून 2008- 107610- 27559
जुलाई 2008- 139883- 35824
जून 2013- 180386- 46196
जुलाई 2013- 203166- 52031
कुल- 1970311- 504592