राजनीति

हरियाणा विधानसभा में आज हुए 6 महत्वपूर्ण विधेयक पारित, क्या होगा आपको फायदा, जानें विस्तार से

चंडीगढ़ : हरियाणा विधान सभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन आज छह विधेयक पारित किये गए, जिनमें भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2021, पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2021, हरियाणा माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021, हरियाणा लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2021, हरियाणा परिवार पहचान विधेयक, 2021 (यथासंशोधित) और हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2021 शामिल हैं।

आज मानसून सत्र के आखिरी दिन निम्न 6 विधेयक पारित किये गए
  1. भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2021
  2. पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2021
  3. हरियाणा माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021
  4. हरियाणा लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2021
  5. हरियाणा परिवार पहचान विधेयक, 2021
  6. हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2021

भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2021
भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013, हरियाणा राज्यार्थ को आगे संशोधित करने के लिए यह विधेयक पारित किया गया है। संसद द्वारा पारित भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 (जिसे बाद में 2013 का अधिनियम कहा गया है) ने विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण के मामलों को एक नई दृष्टि दी है ताकि भूमि से वंचित होने वाले किसानों को विकास के लाभ सांझा करने के योग्य बनाया जा सके। यह भूमि अधिग्रहण किसानों के अहित के स्थान पर उन्हें विकास प्रक्रिया में हितधारक और साथ ही हिस्सेदार भी बनाता है। इस अधिनियम मंथ किसानों/भूमि मालिकों के लिए न केवल मुआवजा प्रदान करना अपितु उनके पुनर्वास एंव पुनव्र्यवस्थापन हेतु भी कई प्रकार के प्रावधान रखे गये है।

अत: हरियाणा राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए सम्पूर्ण सार्वजनिक हितों की रक्षा हेतु 2013 के अधिनियम के कुछ प्रावधानों को संशोधित किया गया है। परिमाणस्वरूप, धारा 2(2) तथा 40(2) में संशोधन की आवश्यकता थी। इसके अतिरिक्त, भूमि मालिकों को न्यायोचित मुआवजा प्रदान करने तथा भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता में संतुलन बनाने हेतु नई धाराएं 10ए, 23ए व 31ए को जोड़ा गया है।

पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, 2021
रोजगार के अवसर उत्पन्न करके निवासियों को जीवन की गुणवत्ता और उचित जीविका स्तर उपलब्ध करवाने के माध्यम से पंचकूला महानगर क्षेत्र के निरन्तर , स्थायी तथा संतुलित विकास के लिए विजन विकसित करने हेतु, एकीकृत और समन्वित योजना, अवसंरचना विकास तथा नगरीय सुख – सुविधाओं, गतिशील प्रबन्धन, नगरीय पर्यावरण और सामाजिक, आर्थिक तथा औद्योगिक विकास के स्थायी प्रबन्धन की व्यवस्था के लिए उपबन्ध करने हेतु, तेजी से बढ़ रही नगर बस्तियों के रूप में पंचकूला के आविर्भाव के संदर्भ में स्थानीय प्राधिकरणों के समन्वय में नगरीय सुशासन और डिलीवरी ढांचे को पुन:परिभाषित करने हेतु तथा उससे सम्बन्धित और उसके आनुषंगिक मामलों के लिए वैधानिक प्राधिकरण स्थापित करने हेतु पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक , 2021 पारित किया गया है।

पंचकूला महानगर क्षेत्र के त्वरित तथा आर्थिक विकास के लिए केन्द्र के रूप में इसके आविर्भाव ने शहरी शासन, अवसंरचना अभाव, विकेंद्रित निर्णय तथा स्वतन्त्र रूप से सृजित नगर क्षेत्र की चुनौतियां प्रस्तुत की हैं, जिन्हें यदि नजर अंदाज किया जाता है , तो पंचकुला के नागरिकों के जीवन का स्वरूप तथा कल्याण प्रभावित हो सकता है । इस विकास ने समेकित शहरी योजना तथा अवसंरचना विकास में अन्तर पैदा किया है । एक महानगर के रूप में पंचकूला के आविर्भाव से शहरी पर्यावरण की गतिशीलता तथा संपोषण क्षमता की समस्यायें सामने आई हैं जो कि विधिक रूप से परिभाषित शहर की सीमाओं से बाहर हैं ।

पंचकूला महानगर क्षेत्र के प्रशासन के लिए वर्तमान विधिक व्यवस्था में विभिन्न कमियां हैं जिन्हें सही किये जाने की आवश्यकता थी । विभिन्न विभागों के बीच विचार विमर्श उपरान्त निर्बाध तथा समेकित विकास संरचना की आवश्यकता को महसूस किया गया है ताकि स्थानीय स्तर पर प्रशासकीय तथा वित्तीय संरचनाओं में कार्यात्मक सशक्तिकरण के अलावा कार्यात्मक तथा संचालन संबंधी जिम्मेदारियों में परस्पर व्यापन से बचा जा सके ।
भारत के महानगर विकास प्राधिकरणों के विभिन्न माडलों का अध्ययन करने उपरान्त , पंचकुला महानगर विकास प्राधिकरण की स्थापना द्वारा समन्वित तथा समेकित शहरी शासन हेतु एक विधिक संरचना स्थापित करने का विचार किया गया है ।

पंचकुला महानगर विकास प्राधिकरण द्वारा निवासियों के जीवन के स्वरूप तथा युक्तियुक्त जीवन स्तर मुहैया कराने , समेकित तथा समन्वित योजना , अवसंरचना विकास तथा शहरी सुख सुविधाओं को मुहैया कराने , गतिशीलता प्रबन्धन , शहरी पर्यावरण तथा सामाजिक , आर्थिक तथा औधोगिक विकास का जारी रखने योग्य प्रबन्धन के माध्यम से पंचकुला महानगर क्षेत्र के सतत , दीर्घकालीन तथा सन्तुलित विकास के दृश्य को विकसित करना प्रस्तावित किया है । पंचकुला के शहरी समूहकरण के रूप में तीव्र विकास के मध्यनजर , यह शहरी शासन तथा उसके प्रतिपादन संरचना को स्थानीय निकायों के समन्वय से पुन: परिभाषित करने का प्रयास करेगा ।

हरियाणा माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021
हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया।
हरियाणा माल और  सेवा कर अधिनियम, 2017(अधिनियम) को राज्य सरकार द्वारा माल या सेवाओं या दोनों की अंत: राज्य प्रदाय पर कर लगाने और संग्रह के प्रावधान के दृष्टिïकोण के साथ अधिनियमित किया गया था।
करदाताओं द्वारा सामना की जा रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए हरियाणा माल और सेवा  कर अधिनियम, 2017 में संशोधन किया गया है। संशोधन विधियक में अधिनियम में विनिर्दिष्टï वृत्तिक द्वारा वार्षिक खातों की लेखा परीक्षा और सुमेलन विवरण दाखिल करने की अनिवार्य आवश्यकता को हटाने और स्व-प्रमाणन के आधार पर इस तरह के विवरण को दाखिल करने का प्रावधान प्रस्तावित है। इसके अलावा, शुद्घ नकद देयता पर ब्याज वसूलने के लिए और अधिनियम के सम्बन्ध में किन्हीं विषयों से सम्बन्धित किसी भी व्यक्ति से जानकारी मांगने के लिए अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है।

प्रस्तावित हरियाणा माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021, अन्य बातों के साथ, निम्रलिखित के लिए प्रदान करता है, अर्थात :-
(1) किसी व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा उसके सदस्यों या घटकों या विपर्ययेन को  नकदी, आस्थगित संदाय या अन्य मूल्यवान प्रतिफलों के लिए माल या सेवाओं को अंतर्वलित करने वाले क्रियाकलापों या संव्यवहारों पर कर उदग्रहण को सुनिश्चित किए जा सकने के लिए अधिनियम की धारा-7 की उप-धारा (1) में प्रथम जुलाई, 2017 से खण्ड (कक) को रखा गया है।
(2) वार्षिक लेखाओं की संपरीक्षा कराने और विनिर्दिष्टï वृत्तिक द्वारा प्रस्तुत सुमेलन विवरण  की अनिवार्य अपेक्षा को समाप्त करने के लिए अधिनियम की धारा 35 की उप-धारा (5) का लोप किया गया है।
(3)   विनिर्दिष्टï वृत्तिक द्वारा सम्यक् रूप से संपरीक्षित सुमेलन विवरण को प्रस्तुत करने की  अनिवार्य  अपेक्षा  को समाप्त करने के लिए और स्वप्रमाणन के आधार पर वार्षिक  विवरणी फाईल करने का उपबन्ध करने के लिए अधिनियम की धारा 44 को नई धारा से प्रतिस्थापित किया गया है।
(4) शुद्घ नकद दायित्व पर ब्याज प्रभारित करने के लिए अधिनियम की धारा 50 की उप-धारा (1) के परंतुक को प्रथम जुलाई, 2017 से प्रतिस्थापित किया गया है।
(5) ‘‘स्वनिर्धारित कर’’ के अंतर्गत धारा 37 के अधीन प्रस्तुत किए गए जावक प्रदायों के  ब्यौरों के सम्बन्ध में संदेय कर सम्मिलित होगा, किन्तु जो धारा 39 के अधीन प्रस्तुत विवरणी में सम्मिलित नहीं है, को स्पष्टï करने के लिए अधिनियम की धारा 75 की उप-धारा (12) में व्याख्या को रखा गया है।
(6) अभिवहन में माल और प्रवहण के निरूद्घ  किए जाने, अभिग्रहण और निर्मुत किए जाने से सम्बन्धित धारा 129 के अधीन कार्यवाहियों को माल या प्रवहणों की जब्ती और शास्ति के उदï््ग्रहण से सम्बन्धित धारा 130 के अधीन कार्यवाहियों से असम्बद्घ करने के लिए अधिनियम की धारा में संशोधन किया गया है।
(7) अभिवहन में माल और प्रवहण के निरूद्घ किए जाने, अभिग्रहण और निर्मुक्ति से सम्बन्धित धारा-129 के अधीन कार्यवाहियों से माल या प्रवहणों की जब्ती और शास्ति के उदïïï्ग्रहण से सम्बन्धित धारा 130 में कार्यवाहियों के असम्बद्घ करने के लिए अधिनियम की धारा 130 में संशोधन किया गया है।
(8) अधिकारिता रखने वाले आयुक्त को इस अधिनियम के सम्बन्ध में कार्यवाही करने के लिए किन्हीं विषयों से सम्बन्धित किसी व्यक्ति से सूचना मांगने के लिए सशक्त करने के लिए अधिनियम की धारा 151 को प्रतिस्थापित किया गया है।

हरियाणा लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2021
यह विधेयक लोक परीक्षा में अनुचित साधनों तथा प्रश्न पत्र प्रकटन निवारण तथा इससे सम्बन्धित एवं इससे आनुषंगिक मामलों हेतु उपबन्ध करने के लिए पारित किया गया है।
राज्य सरकार में पदों पर भर्ती के मामलों में प्रश्न पत्रों का लीक होना न केवल आम जनता के विश्वास को धोखा देता है और सरकार की विश्वसनीयता पर प्रतिकूल प्रभाव  डालता है, बल्कि राज्य को परीक्षाओं को रदद करने के लिए पर्याप्त प्रशसनिक लागत का सामना करना पड़ता है। भारतीय संवधिान के अनुच्छेद 16(1) के तहत अवसर की समानता के मानदण्ड के अधीन पदों पर चयन की  एक निष्पक्ष और उचित प्रक्रिया एक संवैधानिक आवश्यकता है।  एक निष्पक्ष और उचित भर्ती प्रक्रिया भी अनुच्छेद 14 की एक मूलभूत आवश्यकता है।

जहां धोखाधड़ी या अनियमितताओं के परिणामस्वरूप सार्वजनिक रोजगार में भर्ती से समझौता किया जाता है, वहां पूरी प्रक्रिया खराब हो जाती है। धोखेबाज साधनों और उपायों के कारण भर्ती परीक्षाओं में अक्सर समझौता किया जाता है। परीक्षाओं का सार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के मूल्य का मूल्यांकन किना किसी बाहरी स्र्रोत की सहायता के किया जाता है। दुर्भाग्य से इस मुददे ने संगठित अपराध के आयाम ग्रहण कर लिए हैं और इसमें नापाक व्यक्तियों को भारी आर्थिक लाभ शामिल हैं। यह बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ एक अपराध है। इसलिए, सार्वजनिक पदों पर चयन की पवित्रता में जनता का विश्वास बहाल करने की तत्काल आवश्यकता है और उन उम्मीदवारों के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जो चयन के माध्यम से क्लियर करने के प्रयास में समय और संसाधन लगाते हैं। आम जनता के विश्वास को बनाए रखने और सार्वजनिक भर्ती परीक्षाओं में निर्विवाद विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की दृष्टि से, हरियाणा सरकार परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए इस कानून को लाने का प्रस्ताव करती हैं।

हरियाणा परिवार पहचान विधेयक, 2021
हरियाणा सरकार अथवा उसकी ओर से किसी सरकारी अभिकरण अथवा स्थानीय प्राधिकरण द्वारा उपबन्धित या कार्यान्वित किसी स्कीम, सेवा, सब्सिडी या लाभ के लिए पात्रता अवधारण के लिए, या के उपबन्ध हेतु, सामान्यता: अपेक्षित ऐसे डाटा क्षेत्रों से सुव्यवथित सूचना से जुड़े हुए प्रत्येक परिवार हेतु विशिष्ट पहचान संख्या के रूप में परिवार पहचान संख्या का आबंटन करने हेतु तथा परिवार पहचान प्राधिकरण की स्थापना के प्रयोजनार्थ तथा इससे सम्बंधित तथा इससे आनुषंगिक मामलों हेतु उपबन्ध करने के लिए हरियाणा परिवार पहचान विधेयक, 2021 को यथासंशोधित पारित किया गया है। यह अधिनियम हरियाणा परिवार पहचान अधिनियम, 2021 कहा जा सकता है।

लाभों, सब्सिडियों, स्कीमों तथा सेवाओं के लाभार्थियों तथा प्राप्तिकर्ताओं की पहचान करना राज्य सरकार के लिए एक चुनौती है। अपात्र लाभार्थी समाज के विभिन्न खण्डों पर सरकार सहायक लक्ष्यों के प्राप्तिकर्ता हैं जबकि अन्यथा पात्र लाभार्थियों की उपेक्षा की जाती है। जबकि आधार ने लाभार्थियों की पहचान स्थापित करने में सहायता की है, किन्तु इसने लाभों, सब्सिडी, स्कीमों तथा सेवाओं के परिदान या सेवाओं के प्रावधानों में लाभार्थियों की पात्रता के उचित तथा सही अवधारण में सहायता नहीं की है। समस्या संयोजित है, चूंकि प्रत्येक स्कीम, सब्सिडी या सेवा अपनी स्वयं की निर्धारित पात्रता शतों के साथ आती हैं जो तात्विक रूप से एक दूसरे से भिन्न होती है। लाभार्थियों को लक्ष्यित करना भी प्रभावित हुआ है,

चूंकि प्रत्येक स्कीम सब्सिडी लाभ या सेवा शुरूआती पात्रता को विनिर्दिष्ट करती है तथा प्रारम्भ में समान रूप से सभी लाभार्थियों पर विचार करती है जबकि, अन्तोदय का सही उददेश्य अर्थात् गरीब से गरीब तक पहुंच के लिए सबसे जरूरतमंद यद्यपि पात्रता के शुरुआती स्तरों में भी सूक्ष्म स्तरीय लक्ष्य प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। आगे, सरकार का प्रत्येक विभाग या प्रत्येक सरकारी अभिकरण या स्थानीय प्राधिकरण अपने स्वयं का डाटाबेस सृजित करती है तथा पृथक रूप से अनुरक्षित डाटा में तात्विक असंगतियाँ हैं जो लाभों, सब्सिडियों, स्कीमों तथा सेवाओं के परिदान में जटिलताओं की ओर ले जाती है।

सरकार के प्रत्येक विभाग या प्रत्येक सरकार अभिकरण या स्थानीय प्राधिकरण की प्रत्येक स्कीम या सेवा लाभार्थी या प्राप्तिकर्ता पर भार रखते हुए पात्रता शर्तों को सिद्ध करने हेतु दस्तावेजों या सबूत की मांग करती है। लाभार्थी या प्राप्तिकर्ता की पहचान करने हेतु विश्वसनीय तथा अधिप्रमाणित पद्धति के अभाव में यह सुनिश्चित करना कठिन है कि सब्सिडियों, लाभ तथा सेवाएं लक्ष्यित या आशयित या सही रूप में पात्र लाभार्थियों तक पहुँचे।

प्रौद्योगिकी में उन्नति से लाभों, सब्सिडियों, स्कीमों तथा सेवाओं या नागरिकों को सेवाओं के प्रावधानों में लाभार्थियों की पात्रता के उचित निर्धारण पर विशिष्ट रूप से लक्ष्य रखते हुए, सुशासन को बढ़ावा देने में डिजिटल प्रौद्योगिकी की शक्ति का प्रयोग करना सम्भव हो गया है, न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के सूत्र भी स्कीमों, सब्सिडियों, लाभों तथा सेवाओं के परिदान के लिए सामान्य रूप से प्रयुक्त सूचना के किसी अधिप्रमाणित मेटा डाटा को सृजन करते हुए प्राप्त किये जा सकते हैं। सुशासन के माध्यम से प्रादर्शिता तथा आसान जीवन को दस्तावेजों की आवश्यकता, उत्पीडऩ तथा किसी सब्सिडी, स्कीम, लाभ या सेवा में देरी को कम करके सरकार के बीच एकीकृत डाटा शेयरिंग पद्धति द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

परिवार पहचान संख्या प्रत्येक परिवार के लिए विशिष्ट पहचान है, जिसमें अक्षरांकीय वर्गों के विशिष्ट सेट शामिल है तथा जिससे ऐसे डाटा क्षेत्रों, जो सामान्यत: लाभार्थिर्यों की पहचान या पात्रता के निर्धारण या राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा स्वामित्वाधीन तथा निमन्त्रणाधीन किसी संगठन या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा पूर्णत: या भागत: प्रस्तुत या निधीयन की गई किसी स्कीम, सेवा, लाभ या सब्सिडी के प्रावधानों या उसे लागू करने के लिए अपेक्षित हों, से बनी सूचना शामिल है।

परिवार पहचान पत्र से जुड़ी सूचना परिवार के मुखिया या परिवार के किसी वयस्क सदस्य द्वारा स्वैच्छिक रूप से उपलब्ध करवाई जाएगी। परिवार पहचान संख्या से जुड़ी प्रत्येक डाटा फील्ड अन्य उपलब्ध सटीक तथा विश्वसनीय डाटाबेस से जाँच करके इलैक्ट्रोनिक साधनों के माध्यम से या भौतिक सत्यापन, जहाँ यह इलैक्ट्रोनिक साधनों द्वारा अधिप्रमाणित करना संभव न हो, द्वारा अधिप्रमाणित तथा सत्यापित किया जाएगा, एक बार अधिप्रमाणित तथा सत्यापित सूचना किसी और दस्तावेजीकरण या सबूत के बिना लाभार्थियों की पहचान या पात्रता के निर्धारण या सेवा, लाभ या सब्सिडी के लिए अपने आप से आधार बनायेगी। परिवार पहचान संख्या राज्य सरकार, सरकारी अभिकरण या स्थानीय प्राधिकरण के सभी डाटाबेसों को जोडऩे के लिए संदर्भ पूंजी होगी।

राज्य में रहने वाले परिवारों को, परिवार पहचान संख्या बनाने और जारी करने या जारी करने के लिए नीति, प्रकिया, प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के विकास के लिए परिवार पहचान प्राधिकरण की स्थापना करने का प्रस्ताव किया जाता है। प्राधिकरण, परिवार और उसके सदस्यों की जानकारी (सूचना) को परिवारिक सूचना डाटा कोष में निर्दिष्ट डाटा क्षेत्रों में एकत्र, अद्यतन, प्रबंध तथा बनाए रखेगा और ऐसी सूचना को प्रमाणित करने या सत्यापित करने के लिए तन्त्र, प्रकियाओं और प्रणालियों को विकसित और कार्यान्वित करेगा। यह सभी सरकारी विभागों, सरकारी अभिकरणों और स्थानीय प्राधिकरणों को, लाभार्थियों की पहचान या पात्रता के निर्धारण या किसी योजना, सेवा, लाभ या सब्सिडी के प्रावधानों या उसे लागू करने के लिए परिवार पहचान संख्या के आधार पर सत्यापित और प्रमाणित डाटा उपलब्ध करेगा। यह, परिवारिक सूचना डाटा कोष में, इसके पास रखी गई सूचना और डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता भी बनाए रखेगा।

परिवार पहचान, पहचानकर्ता, लाभार्थी या प्राप्तकर्ता को किसी भी सरकारी कार्यालय में जाए बिना, सक्रिय वितरण को सक्षम कर सकता है। यह दस्तावेजों को प्रस्तुत किए जाने के बोझ को कम करेगा और ‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन’ के नारे को बढ़ावा देने वाली स्कीमों, सेवाओं, सब्सिडी तथा लाभों के किसी भी समय और कहीं भी पहचान रहित और अज्ञात वितरण को सक्षम करेगा। पारदर्शिता और प्रकियाओं के सरलीकरण के लाभार्थियों की पहचान और योजनाओं, सब्सिडी, सेवाओं और लाभों में पात्रता के निर्धारण में, व्याप्त भ्रष्टाचार में कमी आएगी।

परिवार पहचान विधेयक, 2021 अन्य बातों के साथ – साथ निम्नलिखित प्रयास करता है, विनिर्दिष्ट डाटा क्षेत्र की बनाई गई जानकारी उपलब्ध करवाते हुए किसी परिवार को परिवार पहचान प्राप्त करने के लिए पात्र बनाता है, सूचना के प्रत्येक डाटा क्षेत्र को सत्यापित करने या प्रमाणित करने की प्रक्रिया निर्दिष्ट करता है और उससे आनुषंगिक कार्रवाई करें, पात्रता निर्धारित करने के लिए परिवार पहचान संख्या प्रदान किए जाने की आवश्कता के लिए या किसी भी लाभ, सब्सिडी, स्कीम या सेवा के उपबंधों द्वारा या प्रदान या लागू किया गया, राज्य सरकार या उसके स्वामित्व और नियंत्रणाधीन किसी भी संगठन की ओर से राज्य सरकार और किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा, परिवार पहचान संख्या से जुड़ी सूचना के सत्यापन के प्रमाणिकरण को, राज्य सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन और नियंत्रणाधीन किसी संगठन तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा ऐसी सरकार, संगठन या स्थानीय प्राधिकरण को लाभ, सब्सिडी, स्कीम या सेवा उपलब्ध करवाने में समर्थ बनाने के लिए सूचना उपलब्ध करवाना, उपरोक्त उद्देश्यों के अनुसरण में परिवार पहचान प्राधिकरण की स्थापना करना और प्राधिकरण को एकत्रित करने, अद्यत करने, ठीक करने, सत्यापित करने, प्रमाणित करने और परिवार सूचना डाटा कोष में सूचना को बनाए रखने में समर्थ बनाना, परिवार पहचान प्राधिकरण को, परिवार सूचना डाटा कोष में सूचना की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए समुचित उपाय करने का आदेश देता है, सम्बंधित कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन के लिए अपराधों तथा शास्तियों को विनिर्दिष्ट करता है। इसलिए यह विधेयक पारित किया गया है।

हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2021
विधान सभा में आज मार्च, 2022 के 31वें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सेवाओं के लिये हरियाणा राज्य की संचित निधियों में से 127070088000 रुपये की राशि के भुगतान एवं विनियोग का प्राधिकरण देने के लिये हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2021 पारित किया गया।

यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद 204 (1) तथा 205 के अनुसरण में वित्त वर्ष 2021-22 के खर्च के लिए विधानसभा द्वारा किए गए अनुपूरक अनुदानों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से अपेक्षित राशियों के विनियोग हेतु उपबन्धक करने के लिए पेश किया गया है।

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