हरियाणा सरकार ने दी सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत, सरकार ने हटाया यह प्रतिबंध

चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी कर्मचारी (Haryana Government Employee) अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। प्रदेश सरकार (State Government) संघ को गैर राजनीतिक संगठन (Non Political Organization) मानती है। संघ को राजनीतिक संगठन (Political Organization) मानने वाले तत्कालीन सरकारों के 1967, 1980 में लगाए गए प्रतिबंध वाले आदेश सोमवार को वापस ले लिए गए। राजनीति (Politics) में कर्मचारियों (Employees) के हिस्सा लेने, प्रचार करने व वोट मांगने पर अब भी रोक रहेगी।

मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से सामान्य प्रशासन विभाग (General Administrative Department) ने सोमवार को इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों के मुख्य प्रशासकों, प्रबंध निदेशकों, मंडलायुक्तों, डीसी, सभी विवि के रजिस्ट्रार व पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) के रजिस्ट्रार को निर्देश जारी कर दिए। इसमें हरियाणा सिविल सेवा (Haryana Civil Services) (सरकारी कर्मचारी  आचरण) नियम, 2016 के नियम संख्या 9 और 10 की अनुपालना कड़ाई से सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। ताजा पत्र अनुसार अब आरएसएस (RSS) प्रदेश में प्रतिबंधित संगठन (Banned Organization) नहीं है।

सरकार ने सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) को चेताया है कि राजनीतिक गतिविधियों (Political Activities) में उनकी संलिप्तता व सक्रियता (involvement and activism) स्वीकार्य नहीं है। वे राजनीति में सक्रिय किसी संगठन के साथ नहीं जुड़ सकते, न ही घर पर किसी दल, संगठन या मार्चे का झंडा लगा सकेंगे जो राजनीति कर रहा हो। इसके साथ ही न तो किसी दल व संगठन को चंदा दे सकेंगे। ऐसे मामलों में संलिप्तता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

1970 में कार्रवाई न करने के दिए थे निर्देश
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) के एडवोकेट हेमंत कुमार (Hemant Kumar) ने बताया कि  11  जनवरी 1967  को तत्कालीन हरियाणा सरकार ने सरकारी  कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों (RSS Activities) में भाग लेने के लिए प्रतिबंधित (Banned) कर दिया था। पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली, 1966  (तब  हरियाणा पर भी लागू)  के नियम 5 (1) के तहत आरएसएस को राजनीतिक संगठन (Political Organization) माना गया था। इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचरियों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) करने के निर्देश दिए गए थे। 4  मार्च 1970 को एक अन्य सरकारी आदेश (Government Orders) में कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई, चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी लंबित था। इसके बाद 2 अप्रैल 1980 को अन्य सरकारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि मामला लंबित होने के बावजूद हरियाणा में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के  विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

कर्मचारियों पर लगी ये पाबंदियां
-राजनीतिक दल की सदस्यता नहीं ले सकेंगे, राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में सहायता करना गैरकानूनी।
-सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के किसी भी सदस्य को ऐसे आंदोलन या गतिविधि में भाग लेने, सहायता करने से रोकेगा। अगर वह रोकने में असमर्थ है, तो इसकी रिपोर्ट सरकार को करेगा।
-यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई दल राजनीतिक दल है या कोई संगठन राजनीति में भाग लेता है या कोई आंदोलन या गतिविधि उपनियम (2) के दायरे में आती है या नहीं तो उस पर सरकार का निर्णय अंतिम होगा।
-मतदान के दौरान सरकारी कर्मी ऐसे कोई संकेत नहीं देगा, जिसमें वे वोट देने का प्रस्ताव कर रहा हो या दिए गए वोट के बारे बताता हो।
-व्यक्तिगत, अपने वाहन पर भी किसी चुनावी चिह्न का प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे

एसोसिएशन में शामिल होना Joining Association
कोई भी सरकारी कर्मचारी ऐसे किसी भी एसोसिएशन में शामिल नहीं होगा या उसका सदस्य नहीं रहेगा, जिसका उद्देश्य या गतिविधियां भारत की संप्रभुता, अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के हित के लिए हानिकारक हैं। कोई भी सरकारी कर्मचारी राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर एक से अधिक ऐसे एसोसिएशन का सदस्य व पदाधिकारी नहीं होगा, जिसके उद्देश्य या लक्ष्य खेल के प्रचार से संबंधित हों। खेल विभाग के कर्मचारी केवल अपनी विशिष्टता, विषय के क्षेत्र में ही राज्य स्तर पर एक एसोसिएशन और राष्ट्रीय स्तर पर एक एसोसिएशन के सदस्य, पदाधिकारी बन सकते हैं।

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