दिवाली : एनसीआर में शामिल 14 जिलों में आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध; देखें जिलों के नाम

हिसार : इस बार दिवाली दिवाली पर आतिशबाजी का शोर व धुआं परेशान नहीं करेगा। लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पोल्लुशण व कोरोना को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग disaster management डिपार्टमेंट की तरफ से पटाखों की बिक्री करने व आतिशबाजी करने पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस बारे में सभी जिलों के डीसी, एसपी व प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को आदेश जारी किया गया है। हालांकि इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट Supreme Court त्यौहारों पर आतिशबाजी के लिए किसी भी तरह की छूट दिए जान से स्पष्ट इंकार कर चुका है, उन्ही आदेशों के तहत अब यह कार्रवाई की गई है। आतिशबाजी पर लगाई गई यह रोक दिवाली के बाद गुरुपर्व, क्रिसमस व नए साल तक जारी रहेगी।

एससीआर में पूर्ण प्रतिबंध तो कम प्रदूषित एरिया में दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखे चलाने की छूट

जारी आदेशों के अनुसार प्रदेश के एनसीआर NCR में शामिल जिलों में आतिशबाजी पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा। एनसीआर में शामिल झज्जर, पलवल, सोनीपत, गुड़गांव, पानीपत, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, करनाल, दादरी और जींद में आतिशबाजी व पटाखों की खरीद-फरोख्त पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दी गई है।

इसके अलावा एनसीआर से बाहर के जिलों में दो घंटे रात के 8 बजे से दस बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की छूट दी गई है, लेकिन यह छूट भी एनसीआर से बाहर के सिर्फ उन्ही जिलों में होगी जहां का प्रदूषण लेवल पिछले साल 300 एक्यूआई से कम रहा था। इस नियम के अनुसार एनसीआर से बाहर के जिले हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, कैथल, कुरूक्षेत्र आदि में भी आतिशबाजी पर प्रतिबंध रहेगा क्योंकि यहां पर पिछले साल प्रदूषण लेवल हवा के सबसे खतरनाक स्थिति 500 एक्यूआई को पार कर गया था।

इन जिलों में पटाखे बेचने या इस्तमोल करने वालों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमैंट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। दुकानों के अलावा ऑनलाइन शोपिंग साइटस को भी इन एरिया में किसी तरह के आतिशबाजी स्पलाई करने पर रोक लगाई गई है।

क्यों लगाया है प्रतिबंध और ग्रीन पटाखों से कितना कम होता है नुकसान

तेज आवाज व चमकीली रोशनी पैदा करने वाले पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम, लिथियम, एंटीमोनी, सल्फर, पोटेशियम और एल्यूमिनियम जैसे हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं। यह रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। एंटीमोनी सल्फाइड और एल्यूमीनियम जैसे तत्व अल्जाइमर रोग का कारण बनते है।

इसके अलावा पोटेशियम और अमोनियम से बने परक्लोराइट फेफड़ों के कैंसर का भी कारण बनते हैं। बेरियम नाइट्रेट श्वसन संबंधी विकार, मांसपेशियों की कमजोरी और यहां तक कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जैसी समस्याओं का कारण बनते है तथा कॉपर और लिथियम यौगिक हार्मोनल असंतुलन का भी पैदा कर सकते हैं। इसके साथ ही यह तत्व जानवरों और पौधों के लिए भी हानिकारक हैं।

इसके अलावा ग्रीन पटाखों से प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण के लिए बेहतर होते हैं। ग्रीन पटाखों को खास तरह से तैयार किया जाता है और इनके जरिये 30 से 40 फीसदी तक प्रदूषण कम होता है। ग्रीन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। इनमें एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का प्रयोग नहीं किया जाता है अथवा इनकी मात्रा काफी कम होती है। इनके प्रयोग से वायु प्रदूषण को बढऩे से रोका जा सकता है।

 

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