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अजब-गजब : 6 साल से 56 हज़ार रुपए सरकार को लौटाने को भटक रहा हरियाणा का एक किसान, सरकार लेने को नहीं तैयार

हिसार : जहां एक और पूरा प्रदेश किसान आंदोलन की चपेट में है। किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जींद के गांव खरैटी का एक किसान ऐसा भी है जो सरकार को उसकी रकम वापस लौटाना चाहता है। मामला है सरकार द्वारा भेजी गई अतिरिक्त रकम का। दरअसल 6 सालों से यह किसान सरकार द्वारा गलती से भेजी गई इस रकम को वापस लौटाना चाहता है। पिछले 6 सालों से वह कई जगह शिकायतें भी कर चुका है।

इस किसान का नाम सूरजमल नैन है और वह नेहरी विभाग में इंजीनियरिंग विभाग से रिटायर्ड हैं। 65 वर्षीय सूरजमल ने बताया कि 2014 में सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण उसकी 2 एकड़ की फसल खराब हो गई थी। राजस्व विभाग द्वारा फसल का सर्वे कराकर 7000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से 2015 में मुआवजा भी सरकार ने दे दिया था। उसके पास कुल 20 एकड़ जमीन थी जिसमें से सिर्फ 2 एकड़ में ही कपास की फसल थी बाकी में उसने धान बोया था।

रुपयों को लेने को तैयार नहीं सरकार

2 एकड़ के हिसाब से उसे 14 हज़ार रुपए मुआवजा मिलना चाहिए था, लेकिन उसे 70 हज़ार रुपए मुआवजा मिल गया, जो उसका हक नहीं है। इसलिए जब उसके खाते में 70 हज़ार रुपए आए तो तुरंत उसने इसकी शिकायत तहसीलदार को भेजी कि वह 56 हज़ार रुपए वापस सरकार को लौटाना चाहता है। तहसीलदार ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने इसकी शिकायत जींद डीसी को भेजी और उसके बाद इस बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अपनी शिकायत जमा करवाई। लगातार 6 सालों से वह अपने खातों में आए अतिरिक्त राशि को वापस जमा करवाने के लिए संघर्ष करें जा रहे हैं, लेकिन सरकार उन रुपयों को लेने को तैयार ही नहीं है।

भ्रष्ट अफसर लूट रहे हैं देश को सूरजमल नैन
किसान सूरजमल ने कहा कि हमारे देश को आजादी दिलवाने में शहीदों का योगदान अहम है। उन्होंने अपने जख्मों पर नमक तक को सहन किया है और देश को आजादी दिलवाई। लेकिन आज उसी देश में भ्रष्टाचार की जड़े फैल चुकी हैं। इसे लेकर उन्हें बहुत दुख होता है। भ्रष्ट अफसर देश को लूटने में लगे हुए हैं।

उन्होंने बताया कि 2014 में उनके गांव में गिनती के एकड़ में कपास की फसल थी लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने फर्जीवाड़ा करके किसानों को गुमराह किया और मुआवजे के पैसों में भी उनसे हिस्सा ले लिया। सूरजमल ने बताया कि उन्होंने डीसी को शिकायत भेजी थी कि अगर इस मामले की जांच की जाती तो राजस्व विभाग के अधिकारी इस फर्जीवाड़े में फंसते। उन्होंने खुद के बचाव के लिए उसके खाते में ज्यादा राशि डलवा दी ताकि वह चुप रहें। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्ट तरीके से भेजी हुई राशि लेना उन्हें मंजूर नहीं है।

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