आयुष्मान याेजना: पैनल के अस्पताल कर रहे इलाज से इंकार, मरीज के परिजन मनमाना बिल भरकर करा रहे इलाज

रोहतक : आयुष्मान योजना (Aayushman Yojna) को तीन साल पूरे हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) आयुष्मान पखवाड़ा मनाकर पात्र लोगों को गोल्डन कार्ड (Golden Card) बनवाने को लेकर जागरूक कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सरकार (Government) की ओर से योजना (Scheme) के जरिए पैनल (Panel) में शामिल किए 18 निजी अस्पताल (Hospital) में मरीजों को पांच लाख रुपए तक निशुल्क इलाज (Free Treatment) नहीं मिल रहा है। वजह अस्पताल (Hospital) संचालक मरीज के पास आयुष्मान कार्ड (Aayushman Card) होने का पता चलते ही एडमिट (Admit) करने से मना कर देते हैं।

 

सर्जरी करने के लिए लंबी डेट दे देते हैं। ऐसे में निराश मरीज के परिजन अस्पतालों (Hospitals) में मनमाना बिल भरकर इलाज कराने को मजबूर होते हैं। सिविल सर्जन कार्यालय की आयुष्मान भारत योजना (Aayushman Yojna) की मॉनिटरिंग कर रहे चिकित्सा अधिकारियों (Medical Officers) ने ढाई साल से आयुष्मान के जरिए इलाज न करने वाले पैनल (Panel) में शामिल अस्पतालों का रिकार्ड खंगाला। इसमें चार निजी अस्पताल (Private Hospital) ऐसे मिले, जिन्होंने आयुष्मान योजना (Aayushman Yojna) के जरिए सबसे कम मरीजों का इलाज किया।

सिविल सर्जन (Civil Surgeon) ने पैनल में शामिल साेनीपत रोड, डी पार्क, हुडा काॅम्प्लेक्स, गाेहाना अड्‌डा स्थित चार अस्पतालों को शोकॉज नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आठ अस्पताल (Private Hospital) ऐसे हैं, जिन पर संदेह होने से रिकार्ड तलब किया है। इधर, सिविल सर्जन डॉ. जेएस पूनिया (JS Poonia) जिले का कार्यभार संभालने के बाद आयुष्मान योजना (Aayushman Yojna) में लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों को ब्लैक लिस्ट व पैनल से बाहर करने की चेतावनी (Warning) दे चुके हैं।

स्टेट एंटी फ्रॉड यूनिट (State Anti Fraud Unit) कर रही पैनल के अस्पतालों की मॉनिटरिंग

आयुष्मान योजना के जरिए बिल क्लेम (Bill Claim) , गोल्डन कार्ड (Golden Card) बनने से लेकर अन्य केसों में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए स्टेट एंटी फ्रॉड यूनिट (State Anti Fraud Unit) की टीम हर जिले में पैनल (Panel ) में शामिल अस्पतालों के रिकार्ड की मॉनिटरिंग (Monitoring) कर रहे हैं। सिविल सर्जन कार्यालय (Surgeon Office) में नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश गर्ग ने बताया कि ग्रीवेंस कमेटी (Grievance Committee) के पास आने वाली शिकायतों (Complaint) काे एक माह में निपटा रहे हैं।

इन केस से समझें कैसे निजी अस्पताल आयुष्मान योजना को लगा रहे चूना, मरीज बगैर इलाज भी लौट रहे

केस – 1

अस्पताल ने लाभार्थी की सर्जरी को मांगे डेढ़ लाख
पानीपत के चुलकाना गांव से आए 20 साल के मरीज को मेडिकल मोड़ (Medical Mod) स्थित एक निजी अस्पताल (Private Hospital) ने रात के समय भर्ती कर लिया। परिजनों ने आयुष्मान कार्ड (Aayushman Card) दिखाने के बाद भी दबाव बनने पर 35 हजार रुपए जमा करा दिए। फिर स्टाफ (Staff) ने परिजनों से डेढ़ लाख जमा करने को कहा। परिजनों की आपत्ति पर अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया। सिविल सर्जन (Civil Surgeon) में शिकायत भी की गई, लेकिन 7 माह बीतने पर भी अस्पताल (Hospital) संचालक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

केस – 2

अस्पताल प्रबंधन ने भेजा ~16,200 का फर्जी बिल
सोनीपत के गोहाना (Gohana) के एक अस्पताल ने रिठाल गांव के व्यक्ति का फर्जी गोल्डन कार्ड () के जरिए रेस्पिरेटरी फैलियर (Respiratory Failure) का इलाज कराया। अस्पताल प्रबंधन (Hospital Management) ने 16,200 रुपए की राशि का क्लेम बनाकर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) को भेज दिया। सॉफ्टवेयर (Software) ने फर्जीवाड़ा पकड़ लिया। उच्चाधिकारियों ने केस वापस रोहतक भेज दिया। अब इस आरोपी को नोटिस (Notice) भेजा गया है। ग्रीवेंस रिड्रेसल कमेटी (Grievance Redressal  Committee) के पास जांच लंबित है।

लापरवाही पर अस्पतालों को नोटिस दिए हैं
आयुष्मान योजना (Aaushman) के तहत पैनल में शामिल निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में लाभार्थियों को इलाज न दिए जाने की शिकायतों का पता कर रहे हैं। लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों (Hospital) को नोटिस दिए हैं। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जल्द ही पैनल में शामिल अस्पताल (Hospital) के संचालकों के साथ बैठक कर गाइडलाइन के बारे में वार्ता की जाएगी। – डॉ. जेएस पूनिया, सिविल सर्जन, रोहतक।

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