भिवानी के बस ड्राइवर की बेटी बनी टोक्यो पैरालंपिक में क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली खिलाडी
भिवानी : ‘किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते’. अपनी किस्मत को पीछे छोड़ कर परिश्रम के बल पर नाम रोशन करने वाली अरुणा का नाम आज प्रदेश भर में अच्छा हुआ है. कारण है पैरालंपिक खेलों में अपनी जगह बनाना. बता दें कि अरुणा दोनों हाथों से अपाहिज है और पैरालंपिक खेलों में उसने अपनी जगह पक्की कर ली है. भिवानी के तोशाम मार्ग पर रहने वाले नरेश तंवर की खुशी का ठिकाना नहीं है क्योंकि उनकी बेटी अरुणा तंवर ने उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है. उनकी बेटी अरुणा तंवर ने पैरालंपिक जैसी स्पर्धा में अपना स्थान पक्का कर लिया है. अरुणा के पिता नरेश तंवर बस ड्राइवर है, फिर भी उन्होंने अरुणा की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी.
टोक्यो में आयोजित होगी पैरा ओलंपिक खेल स्पर्धा
बता दें कि पैरा ओलंपिक खेल स्पर्धा अबकी बार टोक्यो में आयोजित होने वाली है. अरुणा तंवर ने ताइक्वांडो खेल के लिए अपनी जगह पक्की कर ली है. परिजनों को उम्मीद है कि अरुणा टोक्यो पैरा ओलंपिक प्रतियोगिता में जरूर पदक जीतकर लाएगी.
अरुणा ने लगा रखा है पदकों का अंबार
यह पहली बार नहीं है कि अरुणा ने कोई उपलब्धि हासिल की है. इससे पहले भी अनेकों बार अरुणा ने खेल स्पर्धाओं में भाग लिया और जीत भी हासिल की है. अरुणा ने विभिन्न प्रतिस्पर्धा में अनेकों पदक तथा शील्ड प्राप्त की हैं. टोक्यो पैरा ओलंपिक खेल 24 अगस्त से 5 सितंबर के बीच खेले जाएंगे.
जन्म से ही हाथ थे असामान्य
अरुणा के परिजनों ने बताया कि जब अरुणा ने जन्म लिया तब उनके परिवारजनों ने देखा कि उसके हाथ और उंगलियां अपेक्षाकृत छोटे थे. लेकिन अरुणा ने कभी भी अपने आप को असहाय नहीं समझा. बचपन से ही अरुणा को मार्शल आर्ट पसंद है. बाद में जब अरुणा को पैरालंपिक खेलों के बारे में पता चला तब अरुणा ने इनमें रुचि लेना शुरू कर दिया.