प्रदेश में पंचायती चुनाव के लिए आज हुई हाईकोर्ट में आज होनी थी सुनवाई : देखें क्या रही अब तक की अपडेट

चंडीगढ़ : प्रदेश में पंचायती चुनावों (Election) के लिए फिलहाल भावी सरपंचों का इंतजार और लंबा हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने पंचायत चुनावों से संबंधित याचिका पर सुनवाई (Hearing) के लिए अब 11 अक्टूबर 2021 की तारीख निर्धारित की गई है। इस पर आज मंगलवार को सुनवाई होनी थी।
पिछली सुनवाई पर प्रदेश सरकार को कोर्ट ने पुराने नियमों पर चुनाव (Election) करवाने के लिए छुट भी दी भी, लेकिन सरकार 50 फीसदी महिलाओं (Women) को सरपंच बनाने की नई नीति पर चुनाव करवाना चाहती है। अब तक नौ महीने चुनाव टल गया है। हरियाणा (Haryana) में पंचायती चुनावों में एक साल की देरी हो चुकी है। सरपंचों का कार्यकाल जनवरी में ही खत्म हो चुका है और सरपंचों का कार्यभार अब प्रशासकों के हवाले है।
सोनीपत जिला प्रशासन कर रहा है तैयारी
पंचायती चुनावों की तारीखों को लेकर अभी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन विभागों में अब कार्य तेजी से होने लगे हैं। सोनीपत में विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों (Officers) की सूची मांगी गई है। इससे पहले सभी विभागों के कर्मचारियों (Employees) और अधिकारियों का डेटा मांगा गया था, ताकि चुनाव में ड्यूटी संबंधित पूरी जानकारी (Information) सही से अपडेट हो सके।
जटोली के प्रवीण ने डाली है याचिका
पंचायती चुनावों को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। इस मामले में गुरुग्राम जिले के ग्राम जटोला निवासी प्रवीण चौहान व अन्य कई याचिका में पंचायत चुनाव में आरक्षण को चुनौती दी है।
इस अधिनियम पर चुनाव चाहती है सरकार
अधिनियम में संशोधन के अनुसार, पंचायती राज में सीटों का 8 प्रतिशत बीसी-ए श्रेणी के लिए आरक्षित किया जाना है और न्यूनतम सीटें 2 से कम नहीं होनी चाहिए जो एक दूसरे के विपरीत है क्योंकि हरियाणा में 8 प्रतिशत के अनुसार केवल छह जिले हैं जहां 2 सीटें आरक्षण के लिए निकलती हैं, अन्यथा 18 जिले में केवल 1 सीट आरक्षित की जानी है।
जबकि सरकार ने 15 अप्रैल, 2021 की अधिसूचना के माध्यम से सभी जिलों में बीसी-ए श्रेणी के लिए 2 सीटें आरक्षित की हैं जो कानूनन गलत है।यह अधिनियम में संशोधन जिला परिषद की जनसंख्या 2021 में बीसी-ए आबादी को दिखाए बिना किया गया है जबकि बीसी-ए आबादी को दर्शाने वाला एक अलग कॉलम होना चाहिए ताकि आरक्षण के साथ-साथ रोटेशन भी स्पष्ट रूप से देखा जा सके।
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