Haryana Panchayat Chunav: हरियाणा में पंचायत चुनाव इस महीने तक नहीं संभव, चुनावों को लेकर आई ये बड़ी अपडेट

चंडीगढ़ : Haryana Panchayat Chunav: हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। राज्य में अप्रैल से पहले किसी भी सूरत में चुनाव संभव नहीं लग रहे। हरियाणा के पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रविधान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सुनवाई 21 मार्च तक स्थगित कर दी। हरियाणा सरकार ने कोर्ट में कहा है कि वह चुनाव कराना चाहती है, लेकिन इस पर हाईकोर्ट ने आरक्षण को चुनौती देने वाले पक्ष से जवाब मांग रखा है, जो अभी तक दायर नहीं किया गया है।

पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रविधान के खिलाफ याचिका, सुनवाई 21 मार्च तक स्थगित

हाईकोर्ट ने इस केस पर सुनवाई के लिए 21 मार्च तय कर दी है। यदि मान लिया जाए कि उसी दिन कोई फैसला हो गया, तभी अप्रैल से पहले चुनाव नहीं होंगे। यह भी संभव है कि 21 मार्च को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट कोई अगली तारीख तय कर दे। ऐसे में पंचायत चुनाव लंबे खिंचते जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के सामने अब पंचायत चुनाव से पहले शहरी निकाय चुनाव कराने के विकल्प के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।

हरियाणा सरकार द्वारा चुनाव कराने की अर्जी पर याची पक्ष ने अभी तक नहीं दिया कोई जवाब

हाई कोर्ट ने याची पक्ष को कहा कि पहले वह इस मामले में अपना जवाब दायर करे, तब मामले की आगे सुनवाई होगी। इस मामले में हरियाणा सरकार ने एक अर्जी दायर कर चुनाव के लिए हाई कोर्ट से इजाजत मांग रखी है। हरियाणा सरकार ने दायर अर्जी में कहा है कि पिछले साल 23 फरवरी को ही पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, इसलिए जल्द ही चुनाव कराए जाने चाहिए। पंचायती राज एक्ट के दूसरे संशोधन के कुछ प्रविधान को हाई कोर्ट में 13 याचिकाएं दायर कर चुनौती दी हुई है।

ऐसे में राज्य सरकार के पास पहले शहरी निकाय चुनाव कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं

पहले कोरोना के कहर के चलते सरकार ने यह चुनाव नहीं करवाने का हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था। अब हालात बेहतर हो चुके हैं, बावजूद इसके अभी सरकार ने चुनाव को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं की है। याचिकाकर्ता ने राज्य के पंचायत विभाग द्वारा 15 अप्रैल को अधिसूचित हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2020 को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए रद किए जाने की हाई कोर्ट से मांग कर रखी है।

हाई कोर्ट को बताया जा चुका है कि इस संशोधन के तहत की गई नोटिफिकेशन के तहत पंचायती राज में आठ प्रतिशत सीटें बीसी-ए वर्ग के लिए आरक्षित की गई है और यह तय किया गया है कि न्यूनतम सीटें दो से कम नहीं होनी चाहिए। याचिकाकर्ता के अनुसार यह दोनों ही एक दूसरे के विपरीत हैं, क्योंकि हरियाणा में आठ प्रतिशत के अनुसार सिर्फ छह जिले हैं, जहां दो सीटें आरक्षण के लिए निकलती हैं। अन्यथा 18 जिलों में सिर्फ एक सीट आरक्षित की जानी है, जबकि सरकार ने 15 अप्रैल की नोटिफिकेशन के जरिए सभी जिलों में बीसी-ए वर्ग के लिए दो सीटें आरक्षित की हैं जो कानूनन गलत हैं।

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