निजी स्कूलों के साथ सरकार की मिली भगत, अभिभावकों पर फीस वृद्धि का बोझ डालने की हो रही तैयारी- सैलजा

चंडीगढ़ : हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा ने कहा कि दो साल से कोरोना की मार से प्रदेश के लोग बेहाल हैं। उनकी आमदनी के तरीके घटे हैं, रोजगार हाथ से जा रहा है। बेरोजगारी में हरियाणा देश में नंबर-1 बन रहा है। फिर भी प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत कर अभिभावकों पर फीस वृद्धि का बड़ा बोझ डालने की तैयारी में है। बाकायदा इस दिशा में प्रदेश सरकार ने कार्य भी शुरू कर दिया है।

सैलजा ने कहा कि दो साल से प्रदेश के लोगों की बिगड़ती आर्थिक हालत किसी से भी छिपी नहीं है। लोगों को न तो रिक्तियों के हिसाब से सरकारी नौकरियां ही मिलीं और न ही निजी क्षेत्र में उनकी नौकरी सुरक्षित रही। कोरोना की पहली, दूसरी व तीसरी लहर की भयावहता ने हर तरह के व्यापार को सीमित कर दिया। इससे लगातार रोजगार जाते रहे और जिनके रोजगार बचे रहे, उनकी आमदनी लगातार घटती रही।

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इन सभी से मुंह फेर कर प्रदेश सरकार निजी स्कूल संचालकों के हाथों में खेल रही है। इसी वजह से अभी तक मौजूदा शैक्षणिक सत्र के 10 महीने गुजरने के बावजूद गरीब परिवारों के बच्चों के दाखिले प्राइवेट स्कूलों में नहीं हो पाए हैं। अब इस दोस्ती में एक कदम और आगे बढ़ते हुए जिन लोगों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, उनकी 1 अप्रैल से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र से फीस बढ़ोतरी की साजिश रची जा रही है।

सैलजा ने कहा कि जनविरोधी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों से 1 फरवरी तक फॉर्म छह भरकर मांगे हैं। इन फॉर्म को भरकर देने वाले स्कूल 1 अप्रैल से 10.13 प्रतिशत फीस तुरंत प्रभाव से बढ़ा सकेंगे। जबकि, पिछले दो साल में न तो निजी स्कूलों को कोई अतिरिक्त खर्चा करना पड़ा है और न ही इन दो सालों में किसी भी व्यक्ति की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दो साल के दौरान ज्यादातर समय बच्चों ने ऑनलाइन क्लास ही अटैंड की हैं।

ऐसे में स्कूलों में बिजली, पानी, मेंटिनेंस, रंग-रोगन, स्कूल बस आदि का कोई खर्चा ही नहीं हुआ। ज्यादातर स्कूलों ने तो अपने स्टाफ की सैलरी भी आधी की हुई है। इसके बावजूद कोरोना की महामारी के बीच फंसे लोगों की जेब पर डाका डालने की तैयारी शुरू हो चुकी है। सैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार को किसी भी सूरत में निजी स्कूलों को फीस बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देनी चाहिए। फीस बढ़ाेतरी होने से पहले ही मंदी की मार से जूझ रहे अभिभावकों के सामने एक और नया संकट खड़ा हो जाएगा।

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