जज्बे को सलाम; खुद की जान की परवाह न कर ससुर को मौत के मुँह से खींच लाई पुत्रवधु, बनी प्रेरणास्त्रोत

तोशाम (भिवानी): बेटियां बोझ नहीं, जिंदगी का दूसरा नाम होती हैं। इस बात को साबित किया है एक पुत्रवधू ने मौत के मुहाने चले पर गए ससुर को अपना लीवर दान कर।

अतिरिक्त सिविल जज (Additional Civil Judge – senior division) जोगेंद्र सिंह की पत्नी कुसुम (kusum) ने जो मिसाल पेश की है वह हर किसी के बस की बात नहीं है। कुसुम ने खुद की जान की परवाह न करते हुए लीवर देकर अपने ससुर को एक नई जिंदगी दी है। कुसुम अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत (Source of inspiration) हैं।

2018 में कुसुम के 60 वर्षीय ससुर कृष्ण कुमार (Krishna Kumar) का लीवर खराब (liver failure) हो गया था। जिंदगी बचाने के लिए लीवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) करवाया जाना जरूरी हो गया था। इन हालातों के बीच साहस की मूर्ति कुसुम ने अपना लीवर देने की इच्छा जताई। चिकित्सीय चेकअप (medical checkup) के बाद ब्लड ग्रुप (blood group) आदि का तालमेल मिलने पर 35 वर्षीय कुसुम ने साहस दिखाते हुए अपने ससुर को लीवर का 65 प्रतिशत हिस्सा देकर उनकी जिंदगी बचाने का काम किया।

कुसुम ने पढ़ाया लोगों को इंसानियत का पाठ

लीवर देकर अपने ससुर की जान बचाने का साहसी कदम उठाकर कुसुम ने लोगों को भी इंसानियत का पाठ (lesson of humanity) पढ़ाने का काम किया है। उनके इस कार्य के बाद हर कोई तारीफ कर रहा है। सब यही बोल रहे हैं कि भगवान ऐसी पुत्रवधू सबको दे। कुसुम के द्वारा उठाया गया यह कदम अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं।

अंगदान कर बचा सकते हैं कई लोगों की जान

इस संबंध में अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिविजन) जोगेंद्र सिंह ने कहा कि अंगदान दिवस को मनाने का उद्देश्य ही लोगों को इसके लिए जागरूक और प्रेरित करना है। ऐसा करके आप एक साथ कई लोगों का जीवन सार्थक बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर साल लाखों लोगों की शरीर के अंग खराब होने के कारण मृत्यु हो जाती है। शरीर के ऐसे कई सारे अंग हैं, जिन्हें मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है। दान किए गए अंग दुनिया भर में हजारों लोगों का जीवन बदल सकते हैं।

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