चौटाला परिवार के एक होने की बात पर ओमप्रकाश चौटाला ने कर दिए सबके मुँह बंद, कही ये बड़ी बात, जानें

चंडीगढ़ : चौटाला परिवार के एक होने को लेकर उठ रहे तमाम राजनीतिक कयासों पर इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने पूर्ण विराम लगा दिया है. बता दें कि परिवार और पार्टी के एक होने पर जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय सिंह चौटाला ने बयान दिया था कि बड़े चौटाला (ओमप्रकाश चौटाला) विचार करें तो हम भी सोचेंगे.

इस बात को और अधिक बल तब मिला जब उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं जिसमें वो अपने दादा जी के पैर छु रहें हैं और दादा जी भी सिर पर हाथ रखकर अपने पोते को आशीर्वाद दें रहें हैं. यह नजारा हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु की बेटी की शादी के दौरान देखने को मिला था. लेकिन ओमप्रकाश चौटाला ने जिस तरह से अपने बेटे अजय चौटाला, पोते दुष्यंत और दिग्विजय का नाम लिए बगैर उनपर जुबानी हमला बोला है, उससे यें संभावनाएं कोसों दूर हों गई है.

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने हमला बोलते हुए कहा कि यें लोग इनेलो पार्टी के गद्दार है और गद्दारों के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है. राजनीति के बेहद मंझे हुए खिलाड़ी कहें जाने वाले ओपी चौटाला ने इस बात पर भी स्पष्टीकरण दिया कि आखिर चौटाला परिवार की एकजुटता के प्रयासों की बात क्यों चलाई जा रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने कहा कि इन लोगों की असलियत जनता के सामने आ चुकी है और जेजेपी पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में पार्टी छोड़ने की भगदड़ मची हुई है. इस भगदड़ को रोकने के लिए इस तरह की भ्रमित बातें की जा रही है ताकि जेजेपी से भागने वाले लोग वहीं रुकें रहें. ओपी चौटाला ने कहा कि सत्ता पाने के लिए इन्होंने चौधरी देवीलाल के नाम का इस्तेमाल किया और लोगों के साथ धोखा करने का काम किया है.

इनेलो पार्टी के कार्यकर्ता किसी तरह से भ्रमित न हो, इसलिए चौटाला ने चीजों को स्पष्ट करने में बिल्कुल भी समय नहीं लगाया. इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने कहा कि सत्ता के नशें में चूर होकर इनकी सरकार ने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे निहत्थे किसानों पर लाठियां बरसाई और झूठे मुकदमे दर्ज करवाएं. मैं इन लोगों को कभी बर्दाश्त और स्वीकार नहीं कर सकता.
परिवार अपनी जगह है और राजनीति अपनी जगह पर है. उन्होंने कहा कि मैंने कभी अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन में अपने सिद्धांतों और अनुशासन से समझौता नहीं किया और जिन्होंने पार्टी के साथ अनुशासनहीनता की , चाहें वह कितना ही बड़ा नेता हों या कार्यकर्ता, उसे कभी बर्दाश्त नहीं किया.
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