हरियाणा में तीन गेजेटेड अधिकारियों सहित नौ लोग रिश्वत लेते गिरफ्तार, विजिलेंस की बड़ी कार्यवाही

हरियाणा राज्य सतर्कता ब्यूरो ( Haryana State Vigilance Bureau ) ने पिछले जनवरी माह में तीन राजपत्रित अधिकारियों ( Gazetted officer ) सहित नौ सरकारी कर्मचारियों को 1500 से 50000 रुपये तक की रिश्वत ( bribe ) लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। रिश्वत लेने वालों में आबकारी एवं कराधान विभाग का बड़ा अधिकारी, सतनाली का नायब तहसीलदार, पानीपत का जिला उद्यान अधिकारी व सोनीपत का माइनिंग अफसर शामिल हैं।

विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि इस अवधि में ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत सात मामले दर्ज कर लोक निर्माण (भवन एवं सड़क) विभाग के एक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सहित कुल 11 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की। जहां 9 आरोपियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया, वहीं कोर्ट के आदेश पर रोहतक के मुख्य अभियंता (सेवानिवृत्त) धर्मबीर दहिया और सिद्धांत दहिया के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

इनकों रिश्वत लेते पकड़ा

जनवरी में बहादुरगढ़ में तैनात उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त राजा राम नैन को 50000 रुपये की रिश्वत पकड़ा गया, वहीं पानीपत में तैनात जिला उद्यान अधिकारी महावीर शर्मा को सरकारी कार्य करने की एवज में 30000 रुपये रिश्वत लेते काबू किया। इसी प्रकार, सतनाली जिला नारनौल के नायब तहसीलदार अमित कुमार और सोमबीर सिंह, रजिस्ट्री क्लर्क को 14000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। जिला फरीदाबाद के गांव धौज में बलजीत, पटवारी तथा पटवारी के सहायक ईश्वर को 1500 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा। खनन एवं भूविज्ञान विभाग, सोनीपत में गार्ड के पद पर तैनात ललित और खनन अधिकारी अशोक कुमार 8500 रुपये की रिश्वत लेते विजिलेंस के शिकंजे में आए।

बिजली बोर्ड निसिंग करनाल में कनिष्ठ अभियंता अमित कुमार को 5000 रुपये की रिश्वत लेते धरा गया। ब्यूरो ने राज्य सरकार के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए 1 राजपत्रित अधिकारी, 1 अराजपत्रित अधिकारी और 4 निजी व्यक्तियों के खिलाफ 5 जांच दर्ज की है जिनमें से तीन जांच का निपटान किया जा चुका है। पूर्ण हुई तीन जांच में से, ब्यूरो ने सरकार को 7 राजपत्रित अधिकारियों, 7 अराजपत्रित अधिकारियों और 3 निजी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की सिफारिश की है। जनवरी में ब्यूरो ने दो विशेष व तकनीकी जांच की रिपोर्ट भी सरकार को प्रेषित की, जिसमें तीन राजपत्रित अधिकारियों, एक अराजपत्रित अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करते हुए संबंधित एजेंसी से 15750 रुपये की रिकवरी करने की सिफारिश की गई।

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