हरियाणा मंत्रिमंडल विस्तार को हाई कोर्ट में चुनौती, क्या है मामला? देखें

चंडीगढ़ : हरियाणा मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया है। कमल गुप्ता व देवेंद्र बबली को मंत्री बनाने को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले को लेकर एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। हरियाणा विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 90 है। ऐसे में संविधान के संशोधन के अनुसार कैबिनेट में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं, लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है।

याचिका में भट्टी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ ही नवनियुक्त मंत्री कमल गुप्ता, देवेंद्र बबली को भी प्रतिवादी बनाया है। आरोप है कि गैरकानूनी, तानाशाह पूर्ण, असंवैधानिक और तय प्रावधान का उल्लंघन कर उनकी नियुक्ति की गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी जा रही है। इसका सीधा दबाव जनता पर पड़ रहा है। विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है।

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए। इसके साथ ही याचिका लंबित रहते उनको मिलने वाले लाभ पर रोक पर रोक लगाए जाने की भी हाई कोर्ट से मांग की गई हैं।

पिछली सरकार में मंत्री बनाने का मामला अभी भी विचाराधीन

भाजपा की पहली सरकार में जब विपुल गोयल, बनवारी लाल, मनीष ग्रोवर को मंत्री बनाया गया था, तब उनकी नियुक्ति को भी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। यह मामला अभी भी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।बाक्सकेंद्र मान चुका है 13 .5 का मतलब 14पहली याचिका पर केंद्र सरकार की ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि हरियाणा में 14 मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती हैं क्योंकि 13.5 का मतलब 14 माना गया है।

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