सिंघु बॉर्डर पर बने पक्के घरों को अब तोड़ रहे किसान, ईंटों को ले जा रहे साथ, देखें तस्वीरें

सोनीपत : कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बार्डर पर चल रहे धरने पर बनाए पक्के घरों को अब किसानों द्वारा तोड़ा जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रधान द्वारा ये घर बनाए गए थे। अब इन पक्के मकानों को हटाकर हाईवे खाली किया जा रहा है।

 यूनियन के प्रधान गुरमुख सिंह ने बताया कि इस घर को बनाने में करीब साडे 3.50 लाख का खर्च आया था। इस घर में तीन कमरे थे, जिसमें महिलाओं के लिए अलग रूम और पुरुषों के लिए 2 अलग रूम तैयार किए गए थे । किसानों का कहना है इस घर में लगाई हुई ईट वह अपने घर ले जाएंगे और ले जाकर के अपने गांव में दिखाएंगे कि आखिर किस प्रकार वह इन्हीं ईटों से घर बनाकर बार्डर पर रह रहे थे।

गौर रहे कि किसान आंदोलन में तमाम सुविधाएं मुहैया करवाने वाले एनजीओ खालसा एड ने अपनी आरे से कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आंदोलन में इस्तेमाल सामान को अब वह जरूरतमंद ग्रामीणों को देने की योजना बना रहा है। इसमें पोर्टेबल टॉयलेट, एसी, वॉशिंग मशीन, पंखे, कूलर, कुर्सियां, कंबल, गद्दे, ड्रम और कपड़े शामिल हैं।

ऐसे खत्म हुआ आंदोलन
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबर्स हाईपावर कमेटी से मीटिंग की थी। हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े। सबसे बड़ा पेंच केस पर फंसा था, जिसे तत्काल वापस लेने पर केंद्र राजी हो गया।

इन मुद्दों पर बनी सहमति

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