किसानों, नंबरदारों और कर्मचारियों सहित पेंशनभोगियों के लिए मुख्यमंत्री ने की बड़ी घोषणाएं, जानें

चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को घेरा। मुख्यमंत्री ने सदन में भूपेंद्र हुड्डा द्वारा पढ़ी गई उस वाट्सएप चैट की जांच करवाने के लिए कॉपी की डिमांड की। इस पर नेता प्रतिपक्ष कोई जवाब नहीं दे पाए।

मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष के माध्यम से कहा कि इस चैट को सदन में पढ़ा गया है, इसकी जांच होनी चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने शायराना अंदाज में भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि यदि कांच पर पारा चढ़ा दिया जाए तो दर्पण बन जाता है, अगर वही दर्पण दिखा दिया जाए तो पारा चढ़ जाता है। मुख्यमंत्री हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे।

किसानों के केस होंगे वापिस

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अभी तक किसान आंदोलन के दौरान पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 276 केस दर्ज हुए हैं। इनमें से 4 केस अति गंभीर प्रकृति के हैं। 272 केस में से 178 केस में चार्जशीट तैयार की गई है। 158 केस अभी तक अनट्रेस हैं। 8 की कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और चार केस की कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल कर दी गई है। 29 केस के रद्द करने की प्रक्रिया जारी है। किसानों को मुआवजा देने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी किसानों से बातचीत चल रही है। सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबिक 46 किसानों का पोस्टमॉर्टम हुआ है। बातचीत में किसानों द्वारा 73 मृतक किसानों को हरियाणा का बताया है। अभी इस मामले में जांच जारी है। इसके बाद ही बातचीत करके मुआवजे के संबंध में फैसला लिया जाएगा।

नंबरदारों को नहीं हटाया जाएगा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि नंबरदारों को नहीं हटाया जाएगा। सरकार द्वारा उनके मासिक वेतन को 1500 से बढ़ाकर 3 हजार कर दिया गया है। इसके साथ-साथ 7 हजार रुपये मोबाइल के लिए दिए गए हैं। उन्हें आयुष्मान भारत का लाभ देने की फाइल भी क्लियर हो गई है, जल्द केंद्र सरकार से मंजूरी मिल

महंगाई भत्ता 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 31 प्रतिशत किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते और पेंशनभोगियों एवं परिवारिक पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत की दर को एक जुलाई, 2021 से मूल वेतन एवं पेशन का 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 31 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा नए कर्मचारियों के लिए क्रियान्वित एनपीएस योजना का शेयर केंद्र सरकार की तर्ज पर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का निर्णय भी सरकार ने लिया है जो कि 1 जनवरी 2022 से लागू किया जाएगा ।

कोरोना के दौरान 600 करोड़ रुपये से अधिक का पहुंचाया लाभ

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कोरोना के दौरान सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी । सरकार ने अलग अलग वर्गों के लाभपात्रों को 600 करोड़ रुपये से अधिक का सीधे तौर पर लाभ पहुंचाया है । उन्होंने कहा कि कोविड के कारण जिन विधायकों के हलकों में विकास कार्यों के लिए 5-5 करोड़ रुपये की राशि नही दी गई, वह 31 मार्च तक जारी कर दी जाएगी। सरकार ने आगे नए नंबरदार की नियुक्त पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया है। इस संदर्भ में बाद में फैसला लिया जाएगा।

माइक्रो इरिगेशन को दिया जाएगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी की कठिनाई को देखते हुए और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को देखते हुए माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए योजनाएं बनाई जाएंगी। किसानों की फसल कम नहीं होनी दी जाएगी। सरकार माइक्रो इरिगेशन और फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए 7 हजार रुपये प्रति एकड़ दर से किसानों को प्रोत्साहन राशि दे रही है। इस संबंध में सरकार आगे बढ़ रही है। सभी का सहयोग चाहिए।

सरकार आय बढ़ाने के लिए लगा रही अंत्योदय मेले

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार गरीबों की आय बढ़ाने के लिए लगातार अंत्योदय मेले लगा रही है। अभी तक 250 मेले लगाए जा चुके हैं। सरकार युवाओं को आगे बढ़ने के लिए व्यवस्था बना रही है। सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। यदि इन मेलों में बजट से ज्यादा युवा सब्सिडी का लाभ लेने आते हैं तो उन्हें वर्तमान बजट से दिया जाएगा, यदि शेष रह जाते हैं तो उनके लिए अगले बजट में विशेष प्रावधान किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि एससी में क्रीमी लेयर नहीं लाया जाएगा। क्रीमी लेयर को लेकर बीसी वर्ग के बारे में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 6 लाख की आय वर्ग में बीसी आरक्षण से जुड़ी सभी नियुक्तियां पूरी हो जाती हैं। यदि फिर भी नियुक्तियां नहीं होती तो इस आय वर्ग को बढ़ा दिया जाएगा।

विश्वविद्यालयों में नियुक्ति को लेकर कमेटी का गठन

मुख्यमंत्री ने हरियाणा के विश्वविद्यालयों में अलग-अलग पदों पर नियुक्तियों के संबंध में फैसला लेने को लेकर एक 5 सदस्यीय कमेटी का गठन करने के लिए कहा है। इसमें राज्यपाल (चांसलर) का प्रतिनिधि, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, तीन यूनिवर्सिटी के वीसी शामिल होंगे। इसके बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा। इसमें यूजीसी के निर्देशों की अनुपालना की जाएगी। विश्वविद्यालयों में पारदर्शी और योग्यता के आधार पर ही नियुक्ति होंगी। विश्वविद्यालयों की स्वायतता बरकरार रहेगी।

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