UP में डिप्टी सीएम के कार्यक्रम का विरोध कर रहे 2 किसानों की मौत,किसान हुए उग्र, भारी पुलिसबल तैनात

लखीमपुर : करीब एक सप्ताह पहले एक सभा में दिए गए खीरी सांसद अजय मिश्र टेनी (Kheri MP Ajay Mishra Teni) के विवादित बयान के वायरल वीडियो (Viral Video) का गुबार रविवार को फूट गया। रविवार अपराहन जिले के निघासन (Nighasan) इलाके के तिकुनिया (Tikunia) में उस वक्त किसान (Kisan) भड़क गए जब एक चौपहिया वाहन से वहां आंदोलन (Protest) कर रहे कुछ किसान लहूलुहान हो गए।

बताया जाता है कि जैसे ही यह खबर प्रदर्शनकारियों तक पहुंची कि एक चौपहिया वाहन ने किसानों को रौंद दिया गया है और कई किसान (Kisan) मारे गए हैं। तभी वहां पर आंदोलनरत (agitating) हजारों की संख्या में किसान भड़क गए। उन्होंने वहां मौजूद कई चौपहिया वाहनों में आग के हवाले कर दिया।

प्रदर्शनकारियों (protesters) ने स्थानीय सांसद और सीएम विरोधी नारे भी जमकर लगाए। साथ ही कृषि कानून (Farmer’s Bill) वापस लेने तक अपना आंदोलन (Protest) जारी रखने की बात कही। इस बीच बड़ी संख्या में पहुंचे पुलिस बल (Police Force) को देखते ही प्रदर्शनकारियों में भगदड़ मच गई लेकिन, संख्या अधिक होने के कारण पुलिस बल (Police Force) उनको रोकने में नाकाम रहा।

इस बीच वाहन (Vehicle) से रौंदे गए दो किसानों की मौत (Farmer’s Death News) की खबर से किसानों का गुस्सा और भड़क गया। उन्होंने शव को तिकुनिया कस्बे के गुरु नानक कालेज (Gurunanak College) के पास रखकर प्रदर्शन (Protest) शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि अभी तक इस बात की कोई आधिकारिक (Official) पुष्टि नहीं हो पाई है कि इस घटना में मारे गए दोनों लोग कहां के रहने वाले हैं और उनका क्या नाम है। साथ ही इस घटना के लिए जिम्मेदार भाजपा (BJP) के एक कद्दावर इलाकाई नेता व उसके पुत्र पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

ये था मामलाः रविवार को स्थानीय सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पैतृक गांव बनवीरपुर में एक दंगल का आयोजन किया जाना था। जिसके समापन अवसर पर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था लेकिन, इससे पहले ही यहां सांसद के एक विवादित बयान को लेकर नाराज चल रहे किसानों ने इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम के बनवीरपुर गांव पहुंचने से पहले उनको काला झंडा दिखाने की ठान ली। इसी बीच ये बवाल भड़क उठा। रविवार शाम तक तिकुनिया में किसानों का आक्रोश चरम पर रहा।

अफसरों ने उठाने बंद कर दिए फोनः एक तरफ तिकुनिया जल रहा था तो दूसरी ओर जिले के अफसर अपने मोबाइल का स्वीच बंद करके बैठ गए या फिर उसे उठाया ही नहीं। इस आंदोलन में वास्तव में कितने किसानों की मौत हुई, कितने वाहन क्षतिग्रस्त हुए, कितने लोग जख्मी हुए इस बवाल का कारण क्या था। इसपर किसी भी अधिकारी ने प्रशासन की ओर से अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया। इसको लेकर पूरा दिन मरने वालों की संख्या को लेकर अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा।

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