सोमवार से पानी की सप्लाई होंगी बस इन दिनों में, अब 32 दिन बाद ही…

भिवानी : भिवानी में मानसून न आने के कारण अब शहर में भारी जल संकट उत्पन्न हो गया है. 15 जून क़ो नहरी पानी बंद हो गया था, जिसके बाद 32 दिन के बाद यानि 17 जुलाई क़ो नहर में फिर से पानी आना शेडूल है, परन्तु शहर के सभी जल घर सूख गये है.साथ ही निनान और डाबर कॉलोनी के जल आपूर्ति टैंक़ो में आधा से भी कम पानी बचा है, जिसे देखते हुऐ शहर में एक दिन छोड़कर दूसरे दिन पानी देने का प्लान किया गया है.

जल आपूर्ति करने वाले अधिकारियो का कहना है कि ये संकट केवल मानसून के समय पर न आने के कारण हुआ है.शहर में तीन मुख्य जलघर है जो शहर में रह रहे लगभग तीन लाख लोगों की प्यास बुझाते है. पहला निनान गांव में, दूसरा डाबर कॉलोनी में और तीसरा महम रोड पर स्थित पुराना जल घर. आज ये सभी जलघर लोगों की प्यास क़ो बुझाने में असमर्थ मालूम हो रहे है.

एक दिन छोड़  कर होगी आपूर्ति

जन स्वाथ्य विभाग के अधिकारियो ने पेयजल आपूर्ति क़ो सोमवार से एक दिन छोड़ कर एक दिन पानी देने का फैसला लिया है.उनका कहना है कि अगर बारिश हो जाती तो नहरो में पानी शेडूल से पहले आ जाता, पर अब 17 जुलाई तक नहर में पानी आने की कोई उम्मीद नही है.शहर में 75 एमएलडी पानी की जरुरत है परन्तु केवल 69 एमएलडी पानी ही सप्लाई की जा रही है.

32 दिन नहीं मिलेगा नहरी पानी

सिंचाई की बात करें तो शहर में सिंचाई विभाग के चार प्रमुख क्षेत्र हैं. इनमें भालौठ, जेएलएन, सुंदर व बुटाना  हैैं। भालौठ से रोहतक, झज्जर, बहादुरगढ़ जैसे शहरों में रह रहे लोगो के लिए पानी की सप्लाई की जाती है. जवाहरलाल नेहरू कैनाल (जेएलएन) से रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नारनौल और चरखी दादरी में नहरी पानी की आपूर्ति की जा रही है. बुटाना ग्रुप में गोहाना, महम, कलानौर क्षेत्र में पानी दिया जाता है. सुंदर ग्रुप में जींद और भिवानी जिले के आखिरी छोर लोहारू तक पानी की आपूर्ति क़ो पूरा करने की कोशिश की जाती है. सभी क़ो 8 दिन नहर का पानी मिलता है, परन्तु अब लगभग 32 दिनों के लिए नहर का पानी मिलना संभव नहीं है, जिस कारण जल संकट जैसी समस्या उत्पन्न हो गयी है.
डाबर कॉलोनी वाले जलघर की क्षमता लगभग 1024 एमएलडी की है, यहाँ से 29 एमएलडी सप्लाई की जाती है. जिससे केवल 32 दिनों तक काम चल सकता है. वही निनान गांव वाले जलघर की क्षमता लगभग 600 एमएलडी है, जिससे 20 दिन तक और महम वाले जलघर की क्षमता 400 एमएलडी है, जिससे केवल 15 दिन तक सही रूप से पानी की आपूर्ति की जा सकती है. 
इन सबके बीच उम्मीद की बस एक किरण बारिश के रूप में नज़र आ सकती है. अगर इस बीच बारिश हो जाएगी तो नहरो में पानी आ जायेगा और पानी की आपूर्ति सुचारु रूप से पटरी पर आ जाएगी.
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