सरकार दे रही किताबों के 300 रुपए – बाजार में मिल रही 800 की, अब अकाउंट में भेजे जाएंगे रुपए

भिवानी : अब तक सरकार का यह नियम था कि सरकारी स्कूलों के पहली से आठवीं तक के बच्चों को सरकार द्वारा एनसीईआरटी की सभी 6 किताबें मुफ्त में दी जाती थीं,  वह भी बिलकुल नई. लेकिन हाल ही में सरकार ने मुफ्त किताबें देने का नियम समाप्त कर दिया है. अब किताबों के बदले बच्चों को उनके रुपए दिए जाएंगे, जो की बच्चों के बैंक अकाउंट में आएंगे.

बाज़ार में कीमत है ज़्यादा 

आपको बता दें कि सरकार अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को किताबें खरीदने के लिए 300 रूपए उनके अकाउंट में भेजेगी. लेकिन यह रूपए बहुत कम कम हैं, क्योंकि बाज़ार में वही किताबें लगभग 800 रूपए तक की मिल रही हैं, जिसके लिए सरकार केवल 300 रूपए दें रही है. जाहिर है कि जिस कमिटी को इस काम के लिए बैठाया गया था उसने बाजार के मूल्यों पर ध्यान नहीं दिया. साथ ही अभी तक कमिटी ने ये भी नहीं बताया है कि ये रूपए कब तक बच्चों के खाते में आएंगे.

यह है किताबों का असली बाजार का मूल्य

पहली से पांचवी तक-300 रूपए (4 किताबें )
छठी कक्षा के -500 रूपए (6 किताबें )
सातवीं कक्षा के -550 रूपए (6 किताबें )
आठवीं कक्षा के -600 रूपए (6 किताबें )
नौवीं व दसवीं के -800 रूपए (6 किताबें )
11वी व 12वी के -800 रूपए से ज्यादा (5 किताबें )
इसके कारण अब कई बच्चों को पुरानी किताबों से ही पढ़ना पड़ेगा, तो कई गरीब बच्चों को फटी हुई किताबों से. पहले जब सरकार मुफ्त किताबें देती थी, तब दुकानदार भी कम किताबें लाते थे, क्योंकि गांव के अधिकतर बच्चे तो सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते है. लेकिन अब किताबों की कालाबाज़ारी भी शुरू हो सकती है. अभिभावकों ने कहा कि पहले ही कोरोना काल में हमारा काम बंद हो चुका है और अब सरकार किताबों के लिए पैसे दें रही है वह भी बहुत कम. इतने दाम में तो किताबें आ भी नहीं पाएंगी. इससे हम पर और बोझ बढेगा.
इस बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि एडमिशन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद बच्चों के खातों में रूपए आएंगे. जितने रूपए सरकार ने किताबों के लिए तय किये हैं वह बिलकुल सही है. अगर कोई दुकानदार अधिक मूल्य वसूलता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी.
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