नहीं बन पाया दोबारा मुख्यमंत्री जिसने भी ये काम किया; सालों पुराना अंधविश्वास ध्वस्त किया मुख्यमंत्री खट्टर ने

यमुनानगर : उत्तर भारत का प्रसिद्ध एवं धार्मिक तीर्थस्थल कपालमोचन सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र बन रहा है। मगर विंडबना है कि इस तीर्थस्थल पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष आयोजित होने वाले पांच दिवसीय मेले में दशकों से किसी राजनेता, मंत्री, विधायक या फिर मुख्यमंत्री ने पहुंचने की जहमत नहीं उठाई है।

मगर इस बार मेले में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अंधविश्वास को धत्ता बताते हुए तीर्थस्थल में पूजा अर्चना कर पंचस्नान करने का साहस दिखाया है। इसी प्रकार यूपी में भी एक अंधविश्वास है, जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, वह दोबारा सीएम नहीं बन पाता। पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने नोएडा जाकर यह अंधविश्वास तोड़ा है।

राजनेताओं को यह रहा खौफ

बताया जाता है कि कपालमोचन मेले का उद्घाटन करने से राजनेता डरते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि जो भी राजनेता कपालमोचन मेले में पहुंचता है तो वह शापित हो जाता है और दोबारा अपने जीवन में कभी भी चुनाव नहीं जीत पाता है। इसी डर की वजह से अब तक तीर्थस्थल पर ना तो कोई प्रदेशस्तरीय, स्थानीय व केंद्रीय नेता ने पहुंचने की जहमत उठाई है। वर्ष 1970 से लेकर अब तक मेले में प्रशासनिक अधिकारियों ने ही मेले का उद्घाटन और समापन किया है।

ये है पिछले दस वर्ष का इतिहास

वर्ष 2010 में 19 नवंबर को कपालमोचन मेले का शुभारंभ उस समय के उपायुक्त अशोक सांगवान ने किया। इस दौरान कई राजनेताओं से संपर्क किया गया था। मगर किसी भी राजनेता ने मेले का शुभारंभ करना ठीक नहीं समझा। जिसके बाद उपायुक्त को ही मेले का शुभांरभ करना पड़ा।

इसी तरह वर्ष 2011 में मेले का शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अतिरिक्त प्रधान सचिव केके खंडेलवाल ने किया। वहीं, वर्ष 2012 में अंबाला मंडल आयुक्त आरपी गुप्ता ने मेले का शुभारंभ किया था। जबकि वर्ष 2013 में कपालमोचन मेले का शुभारंभ उस वक्त की अंबाला मंडल आयुक्त नीलम पी कासनी ने किया। वर्ष 2014 में मेले का शुभारंभ उस समय के जिला के उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने मेले का शुभारंभ किया।

वर्ष 2015 व वर्ष 2016 में लगातार दो बार जिला के तत्कालीन उपायुक्त डॉ. एसएस फुलिया ने कपालमोचन मेलों का शुभारंभ किया। वर्ष 2017 में मेले का शुभारंभ अंबाला मंडल के आयुक्त विवेक जोशी ने और वर्ष 2018 में मेले का शुभारंभ तत्कालीन उपायुक्त गिरीश अरोड़ा ने किया। वहीं, वर्ष 2019 में तत्कालीन उपायुक्त मुकुल कुमार ने मेले का शुभारंभ करके पुण्य कमाया।

जबकि वर्ष 2020 में कोराना महामारी की वजह से मेले का आयोजन नहीं किया गया। इस बार वर्ष 2021 में मेले का गत 15 नवंबर को राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग के वित्तायुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने किया। मगर मेले के समापन पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पहुंचकर सभी को चकित कर दिया।

अब यह भविष्य के गर्भ में छिपा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरल लाल कपालमोचन मेले में पहुंचने से शापित होते हैं या फिर दोबारा मुख्यमंत्री बनकर तीर्थस्थल के प्रति राजनेताओं के दिलों में बैठे अंधविश्वास को दूर करते हैं।

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