दुनिया के टॉप 20 प्रदूषित शहरों में शामिल हरियाणा का यह जिला: नाम चौकाने वाला, जानें

जींद : दुनिया के टॉप 20 प्रदू‌षित (top 20 polluted cities in the world) शहरों में हरियाणा का जींद (Jind) जिला भी शामिल हो गया है, जबकि यह औद्योगिक रूप से पिछड़ा (industrially backward) हुआ है। प्रदूषित होने का मुख्य कारण शहर के आसपास बनी टायर जलाने व बैटरी के लेड की फैक्ट्रियां (Tire burning and battery lead factories) हैं। ये फैक्ट्रियां दिन में बंद रहती हैं और रात के अंधेरे में चलती हैं। एक फैक्ट्री में रोज 7-8 टन टायरों (Tires) को जलाकर तेल निकाला जाता है।

यह तेल हॉट मिक्स प्लांट व सीमेंट फैक्ट्रियों (hot mix plants and cement factories) को बेचा जाता है। इसके अलावा लोहे का तार (iron wire) भी निकाला जाता है। टायर जलने से कार्बन मोनो ऑक्साइड (carbon monoxide) और सल्फर ऑक्साइड (sulfur oxide) जैसे केमिकल निकलते हैं, जो सांस संबंधी कई गंभीर बीमारियों (Diseases) का कारण बनते हैं। स्विस संगठन आईक्यू एयर (Swiss Association IQ Air) द्वारा तैयार वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 (world air quality report 2020) में जींद प्रदूषण के मामले में 13वें स्थान पर था। जींद का एयर क्वालिटी इंडेक्स (air quality index) ज्यादातर 200 से ज्यादा ही रहता है। कई बार यह 400 भी पार कर जाता है। तेज हवा चलने या बारिश होने पर ही राहत मिलती है।

दिसंबर-जनवरी में भी प्रदूषण का स्तर 200 से ज्यादा

हर साल अक्टूबर, नवंबर में प्रदूषण का स्तर (pollution level) सबसे खराब रहता है। इन दिनों में धान की कटाई होती है। बहुत से किसान धान कटाई (paddy harvesting) कंबाइन से करवा कर फसल अवशेष में आग लगा देते हैं। इन दिनों में ठंड शुरू होने और हवा की गति कम होने के कारण धुएं और धूल के कण आसमान में जम जाते हैं। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण का स्तर (pollution level) शहर में 400 माइक्रो ग्राम के पार चला गया था। दिसंबर-जनवरी में भी प्रदूषण का स्तर 200 से ज्यादा रहता है, उस समय पराली भी नहीं जलती।

5 साल में कटे एक लाख पेड़, नए पौधों को पेड़ बनने में लगेगा समय

जिले में पिछले कुछ सालों में नेशनल हाईवे (National Highway) व सड़कों को चौड़ा करने में हरियाली भेंट चढ़ गई। रोहतक से जींद, जींद से दाता सिंह वाला, जींद से करनाल रोड, जींद से गोहाना रोड समेत कई सड़कों के निर्माण के लिए पिछले 5 सालों में करीब एक लाख पेड़ काटे गए हैं। प्रदूषण (Pollution)  बढ़ने का ये भी बड़ा कारण है। जो पेड़ कटे, उनकी जगह जो नए पौधे लगाए गए, उनको पेड़ बनने में समय लगेगा।

प्रशासन टायर फैक्ट्रियों पर कार्रवाई में फेल

शहर में बढ़ रहे प्रदूषण का मामला उठा रही रिटायर्ड आइईएस जयवंती श्योकंद (Jaywanti Shyokand) ने बताया कि जींद शहर के आसपास चल रही टायर की फैक्ट्रियों ने आबोहवा खराब की हुई है। सुबह उठते हैं तो आंगन में और छत पर काले कण पड़े मिलते हैं। बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन (Pollution Control Board and District Administration) प्रदूषण फैला रही टायर फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहा है, जिससे लोगों की सेहत के खिलवाड़ हो रहा है।

टायर फैक्ट्रियों के साथ और भी हैं कारण

प्रदूषण नियंत्रण विभाग के रीजनल आफिसर राजेंद्र शर्मा (Rajendra Sharma) ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण के लिए टायर फैक्ट्रियों (Tires Factories) के साथ-साथ अन्य औद्योगिक इकाइयां, निर्माण कार्य, ईंट भट्ठे, कूड़ा जलना समेत कई कारण हैं। अगर टायर फैक्ट्रियों को एक माह के लिए बंद भी कर दिया जाए, तो प्रदूषण के स्तर () पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। जो टायर फैक्ट्रियां (Tire Factories) नियमों को पूरा नहीं कर रही थी, उन पर जुर्माने भी लगाए गए हैं। साल 2018 से टायर जलाने की फैक्ट्रियां लगाने के लाइसेंस (License) भी नहीं दिए जा रहे।

शहर में यहां है टायर जलाने की फैक्ट्री

जींद शहर के पास गांव बिशनपुरा, किशनपुरा, किनाना, अनूपगढ़, शामलो, सुंदरपुर, इंडस्ट्रियल एरिया सहित कई जगहों पर टायर जलाने और बैटरी लेड फैक्ट्री लगी हुई हैं।

हरियाणा के ये जिले प्रदूषित शहरों में शामिल

हरियाण के जींद की टॉप 20 () में जगह है। टॉप 30 में फरीदाबाद, हिसार, फतेहाबाद, बंधवाड़ी, गुरुग्राम, यमुनानगर, रोहतक और धारुहेड़ा भी शामिल हैं। रिपोर्ट में हालांकि, ये भी बताया गया है कि 2019 के मुकाबले 2020 में जिलों की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

 

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