बात काम की; Bank में अगले हफ्ते दो दिन रहेगी हड़ताल, जरूरी कामों को निपटा लें पहले ही

नई दिल्ली : बैंक ग्राहकों (bank customers) के लिए यह काम की खबर है। देश के सरकारी बैंक कर्मचारी (government bank employee) 16 और 17 दिसंबर को दो दिन की बैंक हड़ताल करेंगे। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Unions) की तरफ से ये जानकारी दी गई है। बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के विरोध में ये हड़ताल किया जा रहा है।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को पेश किए अपने बजट में दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन (privatization) का ऐलान किया था। जिसके बाद सरकार ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है।

16 और 17 दिसंबर को बैंक हड़ताल

बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। यह नौ सरकारी बैंकों के यूनियन का संयुक्त मंच है। UFBU ने 16 और 17 दिसंबर को हड़ताल की चेतावनी दी है।

क्या है हड़ताल की वजह

गौरतलब है कि ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की थी। सरकार की ओर से विनिवेश पर गठित की गई सचिवों के मुख्य समूह ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए थे।

निजीकरण के बाद कर्मचारियों का क्या होगा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राइवेटाइजेशन से पहले ये बैंक अपने कर्मचारियों के लिए आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (voluntary retirement scheme) ले सकते हैं। यानी कर्मचारियों के  लिए भी यह एक चिंता का विषय है।

इससे पहले IDBI बैंक हो चुकी है प्राइवेट

आपको बता दें कि साल 1960 में IDBI बैंक डेवलपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन (Bank Development Financial Institution) के नाम से शुरू हुआ था। बाद में इसे IDBI Bank बैंक में तब्दील कर दिया गया। इसके लिए संसद की ओर से इजाजत दी गई. देश के जितने भी राष्ट्रीयकृत बैंक हैं, उनका सारा काम संसदीय कानूनों के जरिये नियंत्रित होता है। ये बैंक जैसे ही प्राइवेट होते हैं, संसद की बाध्यता खत्म हो जाती है।

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