हरियाणा कांग्रेस में बड़े दांव की तैयारी, इस बड़े नेता को साइड करने की हो रहीं कोशिशें

नई दिल्ली : Haryana Congress: हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के जी-23 नेताओं के साथ सक्रियता दिखा रहे हैं। हुड्डा की सक्रियता को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं, लेकिन इससे वह बड़े दांव की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि हुड्डा की असली निशाना हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा हैं। जी-23 में अपनी सक्रियता से हुड्डा हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्‍व में बदलाव के लिए पार्टी पर दबाव बनाना चाहते हैंं।  

भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा कुमारी सैलजा काे हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से हटाने के लिए काफी समय से सक्रिय है। ऐसे में पांच राज्‍यों के विधानसभाा चुनाव के नतीजे आने के बाद जी-23 के नेताओं में हुड्डा भी सक्रिय हो गए।  बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बृहस्पतिवार सुबह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनके निवास पर मुलाकात की। हुड्डा और राहुल गांधी के बीच मुलाकात 50 मिनट तक चली। हुड्डा इसके बाद सीधे जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद के निवास पर पहुंचे।

गुलाम नबी आजाद से पहले हुड्डा की राहुल गांधी से मुलाकात को कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति की बजाय हरियाणा के परिदृश्य में देखा जा रहा है। हुड्डा ने राहुल से मुलाकात के बाद फिलहाल चुप्पी साध रखी है मगर उनके समर्थक यह कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने फोन करके हुड्डा को अपने निवास पर बुलाया था। इसके बाद से यह चर्चा आम हो गई कि हुड्डा हाईकमान और जी-23 के नेताओं के बीच समन्वय बनाने का काम करेंगे।

इसके साथ ही यह चर्चा भी प्रबल हो गई कि हुड्डा हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व बदलवाना चाहते हैं। बताया जाता है कि हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष के पद के लिए हुड्डा ने अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा का नाम प्रस्तावित किया है। यह भी बता दें कि हुड्डा के दबाव के कारण ही राज्‍यसभा चुनाव में कुमारी सैलजा की जगह कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा को अपना उम्‍मीदवार बनाकर राज्‍यसभा भेजा।  

इसके साथ ही गुलाम नबी आजाद के घर पर हुई बैठक के बाद जारी बयान को भी लेकर हुड्डा के समर्थक खासे उत्साहित हैं। हुड्डा समर्थक मानते हैं कि हाईकमान को फिलहाल मझधार से निकालने में उनके नेता (हुड्डा) ही सबसे कारगर साबित होंगे।

दूसरी ओर, इस पूरे प्रकरण को लेकर राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने भी चुप्पी साध रखी है। हुड्डा के कुछ समर्थक यह भी कह रहे हैं कि गुलाम नबी आजाद से दोस्ती निभाने के चक्कर में उनके नेता जी-23 की बैठकों में जा रहे हैं। अन्यथा हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से कोई गिला-शिकवा नहीं है।

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