खट्टर हुए भावुक; बोले-“अगली-पिछली सब तरह की पेनाल्टी माफ, सब तरह की गालियां माफ”

पंचकूला : हरियाणा के लोगों को बिजली के बिल भरने के लिए प्रेरित करना कोई आसान काम नहीं था। बिजली चोरी को लोग अपना अधिकार मानते थे। डंडे के बल पर बिजली चोरी होती थी, पर आज स्थिति बदली हुई है। लोग बिल भरते हैं और भरपूर बिजली का फायदा उठाते हैं। बिजली कंपनियां घाटे से उबरकर लाभ में पहुंच चुकी हैं। गांवों में 24 घंटे बिजली जा रही है। देश भर के वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में हरियाणा के इस बिजली प्रबंधन की दिल खोलकर तारीफ हुई है।

करीब 20-22 साल पुरानी बात है। हरियाणा में नारा दिया गया था, न मीटर होगा और न मीटर रीडर। यानी आप बिजली की कितनी भी चोरी करो, कहीं भी इस्तेमाल करो, आपका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। बस वोट आपको हमें देना होगा। इस नारे के बाद बिजली विभाग के किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं थी कि वह गांवों में घुस जाए और बिजली चोरी पकड़ सके।

उस समय प्रदेश में ओमप्रकाश चौटाला की सरकार थी। फिर कुछ साल बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राज आया। उनके राज में बिजली उत्पादन के चार प्लांट लगे, लेकिन बिजली चोरी रोक पाने की हिम्मत उनकी सरकार के अफसरों की भी नहीं हुई। 2014 में भाजपा की सरकार आई और मनोहर लाल मुख्यमंत्री बने। बिजली महकमा उन्होंने अपने पास ही रखा।

पहले हरियाणा में था नारा- “न मीटर होगा और न मीटर रीडर”

करीब 20-22 साल पुरानी बात है। हरियाणा में नारा दिया गया था, न मीटर होगा और न मीटर रीडर। यानी आप बिजली की कितनी भी चोरी करो, कहीं भी इस्तेमाल करो, आपका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। बस वोट आपको हमें देना होगा। इस नारे के बाद बिजली विभाग के किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं थी कि वह गांवों में घुस जाए और बिजली चोरी पकड़ सके।

उस समय प्रदेश में ओमप्रकाश चौटाला की सरकार थी। फिर कुछ साल बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राज आया। उनके राज में बिजली उत्पादन के चार प्लांट लगे, लेकिन बिजली चोरी रोक पाने की हिम्मत उनकी सरकार के अफसरों की भी नहीं हुई। 2014 में भाजपा की सरकार आई और मनोहर लाल मुख्यमंत्री बने। बिजली महकमा उन्होंने अपने पास ही रखा।

बिजली महकमा संभालते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस विभाग के तमाम अफसर अपने पास बुला लिए। उनसे बिजली निगमों की हालत के बारे में जानकारी हासिल की। बिजली विभाग के अफसर बोले, साहब..सब कुछ मुमकिन है, पर बिजली की चोरी रोक पाना मुमकिन नहीं है। मनोहर लाल ने पूछा, ऐसा क्यों..अधिकारी बोले, सर..जिस भी गांव में जाते हैं, लोग बंधक बना लेते हैं, पिटाई अलग से करते हैं।

मनोहर लाल ने बिजली चोरी रोकने का रास्ता निकाला। सबसे पहले मनोहर लाल उन जिलों का दौरा करने गए, जहां सबसे अधिक बिजली की चोरी होती थी। रैलियों को संबोधित करते हुए मनोहर लाल ने लोगों से पूछा कि उनके गांव में कितनी बिजली आती है। लोग बोले कि साहब आती ही नहीं और जितनी आती है, वह जरूरत से बहुत कम होती है।

सब तरह की पेनाल्टी माफ, सब तरह की गालियां माफ

मुख्यमंत्री ने मंच से पूछा कि क्या आप लोगों को भरपूर बिजली चाहिए। जवाब आया, हां..। बस फिर क्या था.. मनोहर लाल ने झोली फैला दी। भावुक होकर बोले, मुझे कुछ नहीं चाहिए। अगली-पिछली सब तरह की पेनाल्टी माफ, सब तरह की गालियां माफ। बस, आप एक काम कीजिए। जितनी बिजली इस्तेमाल करो, उसका बिल भरना शुरू कर दीजिए। लोगों को यह सौदा नुकसान का नहीं लगा।

कुछ गांवों में लोगों ने बिजली के बिल भरने शुरू कर दिए तो कुछ ने अपना खेल जारी रखा। देखा-देखी पूरे प्रदेश में बिजली के बिल भरने की परंपरा आरंभ हो गई। उन गांवों को अधिक बिजली मिलने लगी, जहां बिजली के बिलों का भुगतान किया जा रहा था। जिन गांवों में बिजली के कट लग रहे थे, वहां के लोगों को लगने लगा कि अब बिल भरने ही पड़ेंगे। मोबाइल, इंटरनेट, कूलर और एसी का जमाना है। बिना बिजली के काम चलने वाला नहीं है।

 

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