हरियाणा के इस जिले में बच्चों के दिल में छेद के मामलों में आया अचानक उछाल, 8 माह में 17 बच्‍चों में मिली समस्या

पानीपत : बच्चों के दिल में छेद के मामले एकाएक बढ़े हैं। एक अप्रैल 2021 से 15 जनवरी 2022 तक स्वास्थ्य विभाग की स्कूल हेल्थ टीमों ने 17 बच्चे चिन्हित किए हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत 11 बच्चों का निजी अस्पतालों में फ्री इलाज हो चुका है। छह बच्चों की फाइल अनुमानित इलाज खर्च के लिए भेजी हुई है।

आरबीएसके के जिला नोडल अधिकारी डा. ललित वर्मा ने जागरण ने बताया कि महिला की गर्भावस्था के होने वाले अल्ट्रासाउंड से गर्भस्थ शिशु के दिल में छेद का पता चल जाता है। आरबीएसके के तहत जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों की सर्जरी नि:शुल्क कराई जाती है। दिल के छेद की सर्जरी महंगी हैं।

इसमें डेढ़ लाख से तीन लाख रुपये तक का खर्च आता है। यूं तो हर साल इस बीमारी से पीड़ित 50-60 बच्चे आते हैं लेकिन सर्जरी की जरूरत मात्र दस फीसद बच्चों को होती है। बाकी मेडिसिन से ही स्वस्थ हो जाते हैं। इस वित्तीय वर्ष में 17 बच्चे सर्जरी के लिए चिन्हित हुए हैं। 11 की सर्जरी पानीपत, चंडीगढ़ और दिल्ली के निजी अस्पतालों में कराई गई है।

बाकी छह बच्चों की सर्जरी होनी है। चंडीगढ़ और रोहतक पीजीआई से इलाज खर्च का अनुमानित बजट बनकर आना है। आरबीएसके के तहत रेटिनोपेथी आफ प्रीमेच्योरिटी, कटे होंठ-चिपके तालू सहित नौ प्रकार की सर्जरी निश्शुल्क कराई जाती हैं।

ये बच्चे होते हैं पात्र

डा. ललित के मुताबिक नि:शुल्क सर्जरी की सुविधा के प्राप्त करने के लिए बच्चे का नाम आंगनबाड़ी केंद्र या किसी सरकारी स्कूल में दर्ज होना चाहिए। 18 साल आयु तक के बच्चे लाभ ले सकते हैं।

दिल में छेद के लक्षण 

-दूध पीते समय बच्चे को अधिक पसीना आना।

-उम्र के हिसाब से वजन-विकास में वृद्धि न होना।

-सांस तेज चलती हो।

-बच्चा रोते हुए नीला पड़ जाए।

-थोड़ी देर खेलने में ही थक जाए।

-हृदयगति असामान्य रहती है।

-बच्चे का रंग नीला पड़ जाता है।

-नाखून और होठ भी नीले पड़ जाते हैं।

 बच्चों के दिल में छेद का कारण 

-ज्यादातर केस जन्मजात सामने आए।

-गर्भवती महिला को रुबैला-खसरा होना।

-कुछ मेडिसन का दुष्प्रभाव।

-गर्भवती महिला द्वारा शराब का सेवन।

-गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, कोकीन सेवन।

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