हरियाणा: स्थानीय रूट पर निजी बस ऑपरेटरों को 80 फीसदी परमिट देने की तैयारी में परिवहन विभाग

चंडीगढ़ : हरियाणा परिवहन विभाग ए, बी, सी श्रेणी में अनुपातिक तौर पर रोडवेज और निजी बसें चलाने की योजना बना रहा है। इसके तहत स्थानीय रूट पर रोडवेज बसों को सिर्फ 20 फीसदी व निजी बसों को 80 फीसदी परमिट दिए जाने का प्रस्ताव है। अंतरराज्यीय रूट पर 20 फीसदी निजी व 80 प्रतिशत सरकारी बसें चलाई जाएंगी। अंतरजिला रूट पर निजी व रोडवेज को 50:50 फीसदी परमिट मिलेंगे।

विभाग के इस कदम से रोडवेज कर्मचारियों में अंदरखाते विरोध की चिंगारी सुलग रही है। यह फॉर्मूला लागू होने पर हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने निर्णायक आंदोलन की चेतावनी दी है। साथ ही मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री, प्रधान सचिव परिवहन विभाग व महानिदेशक को ज्ञापन भेजकर नई योजना लागू न करने का अनुरोध किया है।

यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष इंद्र सिंह बधाना व महासचिव सरबत सिंह पूनिया ने

ए, बी, सी श्रेणी में निजी ऑपरेटर को परमिट देना निजीकरण की तरफ कदम बढ़ाना है। निजी बसों से सरकार को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। निजी बस मालिक प्रति बस प्रति माह एकमुश्त केवल 14 हजार रुपये टैक्स सरकार को दे रहे हैं। हरियाणा रोडवेज की बस का प्रति माह 40 से 60 हजार रुपये तक टैक्स सरकार को जा रहा है।

विभाग, स्टेज कैरिज स्कीम 2016 में लंबी दूर व मुख्य मार्गों पर परमिट देकर पहले ही मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन कर चुका है। प्रदेश में आए दिन किलोमीटर स्कीम व निजी बस मालिकों की मनमानी, दुर्व्यवहार व दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। रोडवेज की बसें अनेक बार कम दुर्घटना, कम डीजल में ज्यादा किलोमीटर चलने, जनता को बेहतर व सुरक्षित परिवहन सेवा देने में देश भर के 68 सरकारी व अर्ध सरकारी उपक्रमों में प्रथम स्थान पर हैं।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेज कैरिज स्कीम 2016-17 को रद्द करने एवं संशोधन करने की छूट दी है। विभाग इसमें संशोधन कर अनुपातिक प्रणाली की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है, जिसे लागू नहीं होने देंगे। सरकार इस योजना को लागू न कर बढ़ती आबादी के अनुसार प्रति वर्ष 2000 सरकारी बसें रोडवेज बेड़े में शामिल करे।

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