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Haryana: हुड्डा कार्यकाल में हुई एक और भर्ती पर मंडराया संकट, विभाग ने मांगी रिपोर्ट

चंडीगढ़: हरियाणा की पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार (erstwhile hooda government) में हुई एक और भर्ती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Former Chief Minister Bhupinder Singh Hooda) की सरकार में हुई शारीरिक शिक्षकाें (PTI) और कला अध्यापकों (art teachers) सहित सात भर्तियां रद होने के बाद अब उन पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों (PGT) पर खतरा मंडरा रहा है जो वर्ष 2012-13 में अनुभव के आधार पर (based on experience) भर्ती हुए थे।

बगैर बीएड की डिग्री और बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा (teacher eligibility test) पास किए नौकरी पर लगे पीजीटी शिक्षकों (PGT Teachers) को लेकर शिक्षा निदेशक (education director) ने जिला शिक्षा अधिकारियों (District Education Officers) से रिपोर्ट तलब की है। इसमें पूछा गया है कि उनके जिले में संचालित सरकारी स्कूलों (run government schools) में कितने पीजीटी हैं जो अनुभव के आधार पर नौकरी लगे थे और अभी तक एचटेट पास करने और बीएड का प्रमाणपत्र जमा नहीं कराया है।

इन शिक्षकों के नियुक्ति पत्र में यह शर्त शामिल थी कि उन्हें एचटेट पास का प्रमाणपत्र (HTET pass certificate) और बीएड की डिग्री (BEd degree) जमा करानी होगी। हाई कोर्ट एक फैसले में पहले ही एचटेट और बीएड का प्रमाणपत्र (HTET and BEd Certificate) जमा नहीं करने वाले शिक्षकों को बगैर नोटिस के नौकरी से निकालने का निर्देश दे चुका है। पूरे मामले में अगले महीने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (High Court and Supreme Court) में सुनवाई होनी है।

दरअसल, वर्ष 2012 में शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड (Haryana Teachers Recruitment Board) ने उन युवाओं को अध्यापक पात्रता परीक्षा से छूट दी थी जिनके पास शिक्षा संस्थाओं (educational institutions) में पढ़ाने का चार साल का अनुभव था। इसी के साथ बोर्ड ने इन सभी शिक्षकों को 1 अप्रैल 2015 तक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने की शर्त लगाई थी।

जिन शिक्षकों ने निर्धारित अवधि में एचटेट पास नहीं किया उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Chief Minister Manohar Lal) की सरकार ने 2018 तक मोहलत दे दी। इसके बावजूद काफी संख्या में शिक्षक एचटेट पास नहीं कर पाए जिसके बाद सरकार ने यह समय सीमा वर्ष 2022 तक बढ़ा दी। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में भी चला गया।

परीक्षा पास करने के लिए बार-बार समय बढ़ाने पर उठाए सवाल

याची पक्ष का आरोप है कि मामले में सरकार ने नियमों के खिलाफ पहले तो परीक्षा पास किए बगैर सरकारी टीचर (government teacher) नियुक्त कर दिए और अब कोर्ट व खुद के तय नियम के खिलाफ जाकर इन शिक्षकों को परीक्षा पास करने के लिए बार-बार समय दिया जा रहा है। हाई कोर्ट का साफ निर्देश है कि अगर कार्यरत टीचर तय समय में पात्रता परीक्षा पास नहीं कर पाता तो उसे अयोग्य करार देकर प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवार को नियुक्ति दी जाए। मामले को लेकर हाई कोर्ट शिक्षा विभाग को फटकार भी लगा चुका है।

 

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