अजब गजब

जज साहब… हमारी शादियां हो गई, बाबा का आशीर्वाद दिला दो; हाई कोर्ट पहुंचे राम रहीम के अनुयायी

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक अलग ही तरह का रोचक मामला पहुंचा है। कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले दो व्यक्ति विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के शिष्य हैं। उनकी हाल ही में शादी हुई है। गुरमीत राम रहीम सिंह के इन शिष्यों ने अपने को और अपनी धर्मपत्नियों को बाबा का आशीर्वाद दिलाने की मांग याचिका में की है।

एक याचिकाकर्ता सिरसा जिले का है और दूसरा चंडीगढ़ का है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, वे डेरे के अनुयायी हैं। अपनी शादी की रस्मों को पूरा करने के लिए उन्हें डेरा प्रमुख का आशीर्वाद आवश्यक है। आशीर्वाद की रस्म के बिना उनका विवाह रीति-रिवाजों के अनुसार पूरा नहीं माना जाएगा। चंडीगढ़ और सिरसा के इन डेरा अनुयायिओं की शादी अलग-अलग तारीखों में हुई और दोनों अलग-अलग याचिका कोर्ट में दाखिल की, लेकिन उन्हें आपस में क्लब कर दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि भारतीय संस्कृति के अनुसार, भगवान को मानने वाले अपने जीवन साथी को पवित्र अग्नि, पवित्र पुस्तक और भगवान की मूर्ति को साक्षी मानकर स्वीकार करते हैं। इसी तरह डेरे की रस्मों के अनुसार, डेरा प्रमुख को वह भगवान मानते हैं और भगवान के रूप में लोग उनके आशीर्वाद से उनके सामने शादी करते हैं। यह प्रथा डेरे की स्थापना से जारी है।

याचिकाकर्ता इस प्रथा को देखकर बड़े हुए हैं और कई जाने-माने लोगों ने इसी तरह से अपनी शादी की और अब याचिकाकर्ताओं की शादी हो गई है तो वे डेरे के रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी शादी की रस्म को पूरा करना चाहते हैं। याचिकाकर्ताओं ने डेरा प्रमुख को वीडियो रिकार्डिंग के माध्यम से आशीर्वाद देने की अनुमति देने का सरकार को निर्देश देने की मांग की है, ताकि उनकी शादी से संबंधित कुछ रस्में पूरी की जा सकें।

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने एक फोन काल के जरिए डेरा प्रमुख का आशीर्वाद लेने के लिए डेरा प्रमुख के परिवार के सदस्यों से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार डेरा प्रमुख के फोन काल का आडियो-वीडियो रिकार्ड साझा करने की अनुमति नहीं देती है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने नौ नवंबर को रोहतक में जेल अधिकारियों को एक मांग पत्र देकर इस मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध किया, ताकि उन्हें डेरा प्रमुख का आशीर्वाद मिल सके, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।

याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख का आडियो, वीडियो या पत्र की सुविधाओं से इन्कार करना न केवल उनके व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है, बल्कि याचिकाकर्ताओं को डेरा शिष्यों के रीति-रिवाजों को निभाने से भी रोकता है। आशीर्वाद न मिलने के कारण उनकी शादी अधूरी है और वे इस कारण शादी का पंजीकरण भी नहीं करवा रहे।

याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में गृह सचिव हरियाणा, डीजीपी (कारागार), सुनारिया जेल अधीक्षक रोहतक को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, भारत का संविधान और ङ्क्षहदू विवाह अधिनियम 1955 नागरिकों को उनके रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह करने की अनुमति देता है। यह याचिका अभी हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल की गई है और इस पर जल्द ही सुनवाई हो सकती है।

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