भिवानी की नंदीशाला में चारा खत्म, 850 पशुओं की जान पर आफत,आम जनता से सहयोग की अपील

भिवानी : भिवानी (Bhiwani) में हालुवास रेलवे भिवानी फाटक के समीप स्थित नंदीशाला में चारे का संकट गहरा गया है. यह नंदीशाला नगर परिषद की जमीन पर बनी है. विचार करने योग्य बात यह है की नंदीशाला में चारा लगभग ख़त्म हो गया है और इसके साथ ही नंदीशाला में करीब 850 नंदी भी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. क्योंकि अब उन पर चारे का महासंकट भी मंडरा रहा है. गौसेवकों का कहना है कि इन नंदियों के लिए चारे का कोई प्रबंध नहीं हो पाया है और प्रशासन अभी कोई भी मदद नहीं कर पा रहा है. नंदियों के लिए चिंतित गोवसेवकों ने प्रशासन के हाथ खड़े करने के बाद शहरवासियो से चारे के लिए चंदा माँगा, परन्तु इसके बाद भी 850 नंदियों के केवल एक दिन के चारे का ही इंतजाम हो पाया.

गौसेवकों का कहना है कि प्रशासन से बार-बार गुजारिश करने के बाद भी किसी भी प्रकार की कोई भी मदद नहीं मिल पा रही है. प्रशासन का कहना है कि नंदियों के चारे के लिए कोई भी बजट नहीं है इसलिए वह कोई भी मदद नहीं कर सकते हैं. गौसेवकों का कहना है कि नंदी बिना चारे के नंदिशाला में मर जायें, इससे अच्छा है कि उन्हें खुला छोड़ दिया जाये. गौसेवक संजय परमार, उमाकांत भोली, परमवीर, शुभम, संजय शर्मा, सुमित, मुकेश, आकाश ने बताया कि नंदीशाला में अभी कुछ समय पहले ही बारिश हुई थी, जिसके करण बहुत अधिक कीचड़ हो गया है और पशुओ की हालत बद से बद्तर हो गयी है. कई पशु चारा ना मिलने के कारण मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं.

32 एकड़ खाली पड़ी ज़मीन पर उगाया जा सकता था चारा

रेलवे फाटक के पास ही नंदीशाला के नजदीक करीब 32 एकड़ जमीन खाली पड़ी है. अगर सही समय पर इस ज़मीन पर चारा लगाया जाये तो पशुओ को कभी चारे की कमी नहीं होगी. पर प्रशासन के पोख्ता इंतजाम ना होने के कारण उस ज़मीन पर चारा नहीं उगाया गया. जिससे आज यह संकट पैदा हो गया है. कई अफसरों ने यह सुझाव दिए थे कि खाली पड़ी जमीन पर पशुओ के लिए चारा लगाया जाए. पर बड़े अफसरों के आलस और नजरअंदाजी के कारण यह काम नहीं हो पाया.

नंदीशाला की देखरेख की सारी जिम्मेदारी जिला परिषद ने ली थी. इसकी देख-रेख के लिए 7 कर्मचारी भी रखे गए हैं, पर चारा के लिए प्रशासन ने किसी भी प्रकार का कोई भी बजट ना होने की बात कही है. प्रशासन की अनुमति के बाद ही इन सभी नंदियों को गलियों से लाकर नंदिशाला में रखा गया था. पर अब वहाँ के अधिकतर नंदी भुखमरी के शिकार हो रहे हैं, कई की हालत बहुत गंभीर है.

नंदीशाला में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि ऐसा संकट पहले भी पैदा हो चुका है. नंदिशाला में लगभग प्रतिदिन 30 क्विंटल सूखा चारा और चार ट्रॉली गीले चारे की जरुरत है. समाजसेवी बृजपाल सर्राफ ने नंदियों की हालत को देखते हुए चारे का प्रबंध कर रहे हैं. पर इस मामले में प्रशासन का रवैया अमानवीय है. नंदियों की ऐसी हालत देख गौसेवक आम जनता से सहयोग की अपील कर रहे हैं.

Exit mobile version