वारदात

नकल के नए कानून के तहत पहला केस दर्ज, HPSC डिप्टी सचिव सहित दो अन्य, सबसे पहले आरोपी

चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार (state government) द्वारा भर्ती परीक्षा में नकल जैसे मामलों को गंभीर अपराध (serious crime) करार दिए जाने के बाद अब पहला मामला हाल ही में पकड़े गए एचपीएससी के डिप्टी सचिव (HPSC Deputy Secretary) और अन्य दो के विरुद्ध दर्ज कर लिया गया है।

जानकारी अनुसार उक्त पूरा मामला डेंटल और एचसीएस भर्ती (Dental and HCS Recruitment) के फर्जीवाड़े को लेकर हिसार उकलाना के रहने वाले नरेंद्र की शिकायत पर रोहतक के रहने वाले एचसीएस अनिल नागर, अश्ववनी शर्मा और नवीन के खिलाफ हरियाणा लोक परीक्षा अधिनियम (Haryana Public Examination Act) , भ्रष्टाचार उन्नमूलन अधिनियम, 420, 466, 468, 471 व 120 बी की धाराओं में पंचकूला विजिलेंस (Panchkula Vigilance) ने केस दर्ज कर लिया है।

डेंटल भर्ती और एचसीएस भर्ती (Dental Recruitment and HCS Recruitment) में शामिल अभ्यर्थियों को केस में शामिल किए जाने के कारण नए कानून के तहत वह दो साल तक किसी भर्ती परीक्षा (recruitment exam) में भाग नहीं ले सकेंगे।

यहां पर उल्लेखनीय है कि भर्तियों में फर्जीवाड़ा (fraud in recruitment) रोकने के लिए सरकार ने विधानसभा (Assembly) में नया कानून बनाया था। विधानसभा में पारित होने के बाद प्रदेश में 10 सितंबर से हरियाणा लोक परीक्षा विधेयक (Haryana Public Examination Bill) लागू किया गया। नया कानून लागू होने के 67 दिन बाद एक्ट के तहत पहला केस दर्ज हुआ और केस में भर्ती बोर्ड का उपसचिव अनिल नागर (Deputy Secretary Anil Nagar) आरोपी है।

नागर के अलावा झज्जर निवासी अश्वनी शर्मा व भिवानी निवासी नवीन को भी इस केस में आरोपी बनाया है। यहां पर यह भी बता दें कि कांस्टेबल की भर्ती (Constable Recruitment) में पेपर लीक होने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Chief Minister Manohar Lal) ने भर्तियों में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नया कानून विधानसभा में पास करवाया गया था।

पेपर लीक (paper leak) में शामिल गिरोह के लोगों पर अपराध साबित होने पर सात से दस साल तक की कैद और न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा। जुर्माना नहीं दे पाने की स्थिति में उनकी चल-अचल संपत्ति को कुर्क कर इसकी भरपाई की जाएगी। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ या निरीक्षण दस्ते (staff or inspection squad) को डराने-धमकाने या लालच देने का आरोप साबित होने पर दो साल तक की सजा और पांच हजार रुपये तक का जुर्माना होगा।

भर्ती परीक्षा से जुड़ा कोई व्यक्ति पेपर लीक में शामिल होता है तो उसे सात साल तक कैद और एक से तीन लाख रुपये तक जुर्माना भुगतना पड़ेगा। पेपर लीक में शामिल छात्र को दो साल की कैद और पांच हजार रुपये का जुर्माना भुगतना होगा। साथ ही उस पर दो साल के लिए किसी भी भर्ती परीक्षा (recruitment exam) में शामिल होने पर प्रतिबंध का प्रावधान है।

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