सिंघु बॉर्डर पर बने पक्के घरों को अब तोड़ रहे किसान, ईंटों को ले जा रहे साथ, देखें तस्वीरें
सोनीपत : कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बार्डर पर चल रहे धरने पर बनाए पक्के घरों को अब किसानों द्वारा तोड़ा जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रधान द्वारा ये घर बनाए गए थे। अब इन पक्के मकानों को हटाकर हाईवे खाली किया जा रहा है।

गौर रहे कि किसान आंदोलन में तमाम सुविधाएं मुहैया करवाने वाले एनजीओ खालसा एड ने अपनी आरे से कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आंदोलन में इस्तेमाल सामान को अब वह जरूरतमंद ग्रामीणों को देने की योजना बना रहा है। इसमें पोर्टेबल टॉयलेट, एसी, वॉशिंग मशीन, पंखे, कूलर, कुर्सियां, कंबल, गद्दे, ड्रम और कपड़े शामिल हैं।
ऐसे खत्म हुआ आंदोलन
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबर्स हाईपावर कमेटी से मीटिंग की थी। हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े। सबसे बड़ा पेंच केस पर फंसा था, जिसे तत्काल वापस लेने पर केंद्र राजी हो गया।
इन मुद्दों पर बनी सहमति
- MSP : केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि लिए जाएंगे। अभी जिन फसलों पर MSP मिल रही है, वह जारी रहेगी। MSP पर जितनी खरीद होती है, उसे भी कम नहीं किया जाएगा।
- केस वापसी : हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई है। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे।
- मुआवजा : मुआवजे पर भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन गई है। पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है।
- बिजली बिल : बिजली संशोधन बिल को सरकार सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से चर्चा होगी।
- प्रदूषण कानून : प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी। जिसमें किसानों को कैद नहीं, लेकिन जुर्माने का प्रावधान है। इसे केंद्र सरकार हटाएगी।