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चंडीगढ़ के भूतिया बंगले से निकाले गए पूर्व मेजर और उनकी बेटी ने किये ये खुलासे

चंडीगढ़ : Chandigarh Bhootiya bungalow: चंडीगढ़ के सेक्टर-36 में बंद घर में कई सालों तक खुद को कैद किए हुए रिटायर्ड 94 साल के मेजर हरचरण सिंह चड्ढा और उनकी 58 वर्षीय बेटी जीवजोत चड्ढा को प्रशासन की टीम ने रेस्क्यू करने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया है। सेक्टर-32 स्थित जीएमसीएच में दोनों डॉक्टरों की देखरेख में हैं।

सेक्टर-36 के मकान नंबर 1588 में रहने वाले मेजर हरचरण चड्ढा का जो व्यवहार है वह उनके जीवन की निजी स्थिति के कारण हो सकता है। यह कहना मनोवैज्ञानिक डा. सुनीता कपूर का है। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग से सेवानिवृत काउंसलर डा. सुनीता कपूर ने बताया कि जब इंसान का जीवन दबाव और हिंसा से गुजरा होता है तो वह ज्यादा लोगों से मिलने को नजरअंदाज करता है। उसे हर समय डर बना रहता है कि कोई उसका भला नहीं चाहता। मेजर हरचरण सिंह चड्ढा के बेटे सर्वप्रीत चड्ढा ने बताया था कि पिता कभी भी बाहरी लोगों से मिलना और ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते थे। उन्हें हमेशा डर रहता था कि हर किसी को उनसे मतलब है और हर कोई उनसे कुछ चाहता है। डा. सुनीता कपूर ने बताया कि मेजर चड्ढा का व्यवहार सेना में रहने के चलते नहीं बल्कि खुद की परिवारिक स्थिति के कारण ऐसा हो सकता है।

मेजर चड्ढा ने देखा भारत-पाकिस्तान का विभाजन, 1965 और 1971 की लड़ाई भी लड़ी

मेजर हरचरण सिंह चड्ढा का जन्म 28 जून 1928 काे हुआ है। जन्म के बाद 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारत-पाकिस्तान का विभाजन देखा है। इसके बाद वह भारतीय सेना में भर्ती हुए और 1965 और 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान भी वह सेना में थे और इन दोनों लड़ाई में शामिल रहे हैं। मेजर चड्ढा 1985 में सेना से रिटायर्ड हुए थे, जिसके बाद उन्होंने लुधियाना की एक कंपनी में इंचार्ज के तौर पर कुछ समय नौकरी की। अपने सख्त लहजे के चलते उन्होंने वह नौकरी भी छोड़ दी थी। 

अकेलेपन के चलते होता है डिप्रेशन और फोबिया

डा. सुनीता ने बताया कि मेजर की 58 साल की बेटी जीवजोत कौर हर प्रकार की समझ होने के बावजूद खुद को गर में कैद करके रखा था, जिसका बड़ा कारण अकेलापन था। इंसान यदि अकेला रहता है तो उसे डिप्रेशन और फोबिया हो जाता है। डिप्रेशन और फोबिया के चलते इंसान हर किसी से दूर रहना चाहता है। वह इंसान अपने पास किसी दूसरे लोगों को पसंद नहीं करता, समझ होने के बावजूद वह पागलों की तरह दिखने की कोशिश करता है।

दवाई और बेहतर देखभाल से जी सकते हैं सामान्य जीवन

मेजर हरचरण सिंह और उनकी बेटी के इलाज पर डा. सुनीता ने कहा कि यदि इन दोनों को बेहतर इलाज और देखभाल मिले तो यह सामान्य जीवन जी सकते हैं। इसके लिए जरूरी होगा कि उन्हें कुछ समय के लिए इस घर से दूर रखकर सकारात्मक माहौल में रखा जाए। यह माहौल उनको उनकी उम्र के लोग दे सकते हैं। इसके अलावा परिवार और रिश्तेदारों का सहयोग भी उनकी बेहतर जिदंगी बना सकता है। मेजर चड्ढा और उनकी बेटी जीवजोत को बेहतर जिदंगी देने के लिए उनका माहौल बदलना जरूरी है।

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