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Employee’s Pension Scheme : पेंशन में हो सकता है जबरदस्त उछाल, 333% तक बढ़ सकती है पेंशन, देखें पूरा कैलकुलेशन

नई दिल्ली : Employee’s Pension Scheme : प्राइवेट सेक्टर एम्प्लॉइज (Private Employee’s) को जल्द ही राहत मिल सकती है। एक फैसले से कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में अंशदान करने वाले लाखों कर्मचारियों की पेंशन (Pension, EPS) एक झटके में 300% तक बढ़ सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों की पेंशन (Employee’s Pension Scheme) के लिए उनकी अधिकतम सैलरी 15 हजार रुपए (बेसिक सैलरी) तय की हुई है। मतलब, आपकी सैलरी भले ही 15 हजार रुपए महीने से ज्यादा हो, लेकिन आपकी पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपए सैलरी पर ही होगी।

One Decision and Pension Can Increase Manifold

EPFO की इस सैलरी-सीमा को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कर्मचारियों की पेंशन (Employee’s Pension Scheme) की गणना आखिरी सैलरी यानी हाई सैलरी ब्रैकेट पर भी हो सकेगी। इस फैसले से कर्मचारियों को कई गुना ज्यादा पेंशन मिलेगी। बता दें, पेंशन पाने के लिए 10 साल तक कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान करना जरूरी है। वहीं, 20 साल की सर्विस पूरी करने पर 2 साल का वेटेज मिलता है। अगर सुप्रीम कोर्ट लिमिट हटाने पर फैसला करता है तो कितना अंतर आएगा, आइये समझते हैं…

How will the Pension Increase?

मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक, अगर एक एम्प्लॉई 1 जून 2015 से कही नौकरी कर रहा है और अगर वह 14 साल नौकरी पूरी करने के बाद पेंशन लेना चाहता है तो उसकी पेंशन की गणना 15 हजार रुपए पर ही होती, भले ही वह 20 हजार रुपए के बेसिक सैलरी ब्रैकेट में हो या फिर 30 हजार रुपए। पुराने फॉर्मूले के मुताबिक, एम्प्लॉई को 14 साल पूरा होने पर 2 जून 2030 से करीब 3000 रुपए पेंशन मिलेगी। लेकिन, अगर सुप्रीम कोर्ट कर्मचारियों (Employee’s) के हक में फैसला करता है तो उसी एम्प्लॉई की पेंशन बढ़ जाएगी।

How is EPS Calculation done?

EPS कैलकुलेशन का फॉर्मूला= मंथली पेंशन=(पेंशन योग्य सैलरी x EPS खाते में जितने साल कंट्रीब्यूशन रहा)/70

अगर किसी की मंथली सैलरी (आखिरी 5 साल की सैलरी का औसत) 15 हजार रुपए है और नौकरी की अवध‍ि 30 साल है तो उसे सिर्फ हर महीने 6,828 रुपए की ही पेंशन मिलेगी। सर्विस हिस्ट्री के दौरान एंप्लॉई पेंशन स्कीम (Employee Pension scheme) के तहत जमा होने वाली पूरी राशि सरकार के पास जमा होती है। इसका फायदा सीधे रिटायरमेंट पर ही मिलता है।

अगर 15 हजार की लिमिट हट जाती है और आपकी सैलरी 30 हजार है तो आपको फॉर्मूले के हिसाब से जो पेंशन मिलेगी वो ये होगी। (30,000 X 30)/70 = 12,857

Existing Conditions for Pension (EPS)

– EPF सदस्य होना जरूरी।
– कम से कम रेगुलर 10 साल तक नौकरी में रहना जरूरी।
– 58 साल के होने पर मिलती है पेंशन. 50 साल के बाद और 58 की उम्र से पहले भी पेंशन लेने का विकल्प।
– पहले पेंशन लेने पर घटी हुई पेंशन मिलेगी. इसके लिए फॉर्म 10D भरना होगा।
– कर्मचारी की मौत होने पर परिवार को मिलती है पेंशन।
– सर्विस हिस्ट्री 10 साल से कम है तो उन्हें 58 साल की आयु में पेंशन अमाउंट निकालने का ऑप्शन मिलेगा।

Pension Can Increase up to 333%

बता दें EPFO के नियम के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी 20 साल या उससे ज्यादा नौकरी करते हुए लगातार EPF में अंशदान करता है तो उसके सेवाकाल में दो साल और जोड़ लिया जाता है। इस तरह 33 साल की नौकरी पूरी की, मगर पेंशन की गणना 35 साल के लिए हुई। ऐसे में उस कर्मचारी की सैलरी में 333 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।

What is the Whole Matter?

केंद्र सरकार की तरफ से 1 सितंबर 2014 से नोटिफिकेशन जारी कर कर्मचारी पेंशन संशोधन स्कीम, 2014 लागू की थी। इसका प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों ने विरोध किया और साल 2018 में केरल हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई हुई। ये सभी कर्मचारी, EPF और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 की सुविधाओं से कवर्ड थे।

कर्मचारियों ने EPFO के नियमों का विरोध करते हुए कहा कि इससे उन्हें कम पेंशन सुनिश्चित होती है। क्योंकि भले ही सैलरी 15 हजार से ज्यादा हो, लेकिन पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपए की सैलरी पर तय की गई है। हालांकि, केंद्र सरकार के 1 सितंबर 2014 को किए संसोधन से पहले यह रकम 6,500 रुपए थी। केरल हाई कोर्ट ने EPFO के नियमों को औचित्यहीन मानते हुए कर्मचारियों की रिट को मंजूर कर फैसला सुना दिया था। इस पर EPFO ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

Decision Was Pronounced in 2019

अपने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सुनवाई करने का फैसला किया। 1 अप्रैल, 2019 को EPFO की SLP पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुरेंद्र मोहन (Surendra Mohan) और न्यायमूर्ति एएम बाबू (AM Babu) की खंडपीठ ने कहा – कर्मचारी, जो आवश्यक रूप में अपने नियोक्ताओं के साथ एक संयुक्त विकल्प प्रस्तुत करने के बाद अपने वास्तविक वेतन के आधार पर योगदान दे रहे हैं, वें पेंशन योजना के लाभ से बिना औचित्य के वंचित हैं।

पेंशन के लिए वेतन को 15 हजार रुपए निर्धारित करने का औचित्य नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि 15 हजार मासिक का मतलब होता है 500 रुपए प्रतिदिन। यह सामान्य ज्ञान है कि एक दिहाड़ी मजदूर को भी इससे ज्यादा धनराशि का भुगतान होता है। इसलिए पेंशन के लिए अधिकतम वेतन 15000 हजार रुपए तक सीमित करना एक सभ्य पेंशन से अधिकांश कर्मचारियों को वृद्धावस्था में वंचित करेगा। जहां तक पेंशन फंड पर असर पड़ने की बात है तो समय-समय पर योगदान की दरों को बढ़ाकर फंड की व्यवस्था होनी चाहिए।

फिर से हो रही सुनवाई

जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के अपने फैसले पर पुनर्विचार किया और मामले में सुनवाई का फैसला लिया था। लेबर मिनस्ट्री और EPFO की तरफ से केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका डाली थी। EPFO का मानना है कि इस आदेश से पेंशन 50 गुना (EPS Upper limit) तक बढ़ सकती है। 25 अगस्त को जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) और जस्टिस अजय रस्तोगी (Justice Ajay Rastogi ) की बेंच ने सुनवाई करते हुए मामले को तीन सदस्यीय बड़ी बेंच के पास भेजना का फैसला लिया है। मामला अभी विचाराधीन है।

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