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Petrol Price : नितिन गडकरी ने पेट्रोल कीमतें कम करने का प्लान बता दिया, आप भी जान लें

नई दिल्ली : Petrol Price देश में बढ़ते हुए पेट्रोल के दाम को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स और ऑटोमोबाइल कंपनी के सीईओ को फ्लेक्सी फ्यूल इंजन मैन्युफैक्चर करने के निर्देश दिए हैं. आपको बता दें कि अभी मार्च में ही सरकार ने इथेनोल को स्टैंडअलोन फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने की मान्यता दी है.

Petrol Price

साथ ही नितिन गड़करी ने कार निर्माताओं से ये भी निवेदन किया है कि वे कार में अब लगभग 6 एयरबैग दें. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले कार में केवल 2 एयरबैग ही होते थे लेकिन सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए गडकरी ने ऐसा निवेदन किया कि चाहे कितने भी दाम की या किसी भी क्लॉस की कार हो उसमे 6 एयरबैग्स का होना जरूरी है ताकि सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सके.

क्या होता है फ्लेक्सी फ्यूल इंजन

अभी जो हम अपनी गाड़ियों में पेट्रोल डलवाते हैं उसमे निश्चित मात्रा में एथनोल होता है जोकि 8.5% होता है. लेकिन फ्लेक्सी फ्यूल में आप अपनी इच्छा के अनुसार पेट्रोल और एथनोल का मिश्रण करवा सकते हैं. यानि कि अगर आप चाहे तो 50% एथनोल और 50% पेट्रोल मिक्स करवा सकते हैं. इसके बाद गाडी का इंजन खुद फ्यूल में किसकी कितनी कंसन्ट्रेशन है उसको पहचान लेगा और एग्निशन को एडजस्ट कर लेगा. साधारण भाषा में कहा जाए तो इस वाहन में आप दो या दो से ज्यादा फ्यूल को मिक्स करवा के उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए पेट्रोल पंप पर एक अतिरिक्त मशीन और लगवानी पड़ेगी जिसमें से आपको एथनोल बेस्ड फ्यूल मिलेगा.

क्या है एथनोल और यही क्यों ?

दरअसल एथनोल एक अल्कोहल बेस्ड फ्यूल है. यह एक बायो फ्यूल है, जिसे पेट्रोल के साथ अलग-अलग मात्रा में मिलाकर इसका इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जा सकता है. इसे बनाने के लिए गन्ना, मक्का आदि का इस्तेमाल किया जाता है. इसे शुगर और स्टार्च के फेरमेंटेशन से बनाया जाता है. इसका इस्तेमाल इसलिए करने को कहा जा रहा है, क्योंकि यह सस्ता होने के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन काफी कम करता है.

फ्लेक्सी फ्यूल के फायदे

इसकी कीमत 60-62 रूपए प्रति लीटर हो सकती है, जो कि पेट्रोल के मुकाबले 40 फीसदी कम है.
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि एथनोल बनाने के लिए मक्का, गन्ने आदि की जरूरत पडती है और ये सब ग्रामीणों से लेकर किया जायेगा ताकि ग्रामीणों का भी विकास हो सके. यह इको-फ्रेंडली है. इससे कार्बन उत्सर्जन पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम मात्रा में होता है. भारत अपनी जरूरत का 80% से भी ज्यादा क्रूड आयल इम्पोर्ट करता है. इससे उसे इम्पोर्ट नहीं कराना पड़ेगा और देश का पैसा देश में ही रहेगा.

ये रहे नुकसान

फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़िया बनाने के लिए उसके फ्यूल सिस्टम और इंजन में बदलाव करने होंगे जिससे गाड़ियों की कीमते बढ़ जाएगी. टू व्हीलर की कीमत लगभग 5 से 12 हज़ार तक बढ़ सकती है और फोर व्हीलर की 17 से 30 हज़ार रूपए तक.
आपको बता दें कि एथनोल की फ्यूल एफीशिएन्सी काफी कम होती है. ऐसे में इसके इस्तेमाल से गाडी का माईलेज कम हो सकता है.
हमारे देश में एथनोल इतनी मात्रा में उपलब्ध भी नहीं है केवल कुछ राज्यों से ही 8.5% एथनोल मिलता है.

अभी इस्तेमाल की जा रही गाड़ियों से कितनी अलग होगी फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़िया

अभी जो गाड़िया हम इस्तेमाल करते है उसमे एक ही तरह का फ्यूल डलता है अगर आपकी गाडी पेट्रोल और एलपीजी दोनों से चलती है तों उसके लिए आपकी गाडी में दो अलग अलग फ्यूल टैंक बने होंगे. लेकिन फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़ियों में दोनों तरह ले ईंधन एक ही टैंक में ड़ाल सकते है.

क्या भारत में भी मिलती है फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़िया

इसका जवाब है नहीं. भारत में अभी केवल इनका ट्रायल चल रहा है. लोगों के लिए फ्लेक्सी फ्यूल वाली ऐसी कोई भी गाडी अब तक लॉन्च नहीं की गई है. हालांकि एक बार 2019 में TVS के अपाचे ने एक फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाडी का मॉडल लॉन्च किया था लेकिन ये कभी शोरूम में बिकने नहीं आयी.

फिलहाल किन-किन देशो में चलती है फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़ियां

ब्राज़ील में सबसे ज्यादा फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. वहाँ काफ़ी सालो से ऐसी ही गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है नतीजा यह हुआ कि वहाँ आज 70% से भी ज्यादा गाड़िया फ्लेक्सी फ्यूल वाली ही है. इसके अलावा कनाडा, अमेरिका और चीन में भी इन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. दुनिया के लगभग 18 से भी ज्यादा देश आज इन गाड़ियों को प्राथमिकता दें रहे है. सभी टॉप ऑटोमोबाइल कम्पनियाँ आजकल फ्लेक्सी फ्यूल वाली गाड़ियों के उत्पादन में लगी हुई है.

अचानक सरकार क्यों दें रही है ऐसी गाड़ियों पर जोर

दरअसल हमारे देश में मक्का, गन्ना और गेहूँ का बड़ी मात्रा में उत्पादन हो रहा है. उत्पादन इतना ज्यादा है कि गोदामों में भी इन्हे रखने की जगह नहीं है इसलिए सरकार ने इससे एथनोल बनाने का निर्णय लिया है ताकि इसका उपयोग भी हो सके और किसानो को उनकी फसल का उचित दाम भी मिल सके.

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक पेट्रोल में एथनोल का कंसन्ट्रेशन 20% तक बढ़ा दिया जायेगा और डीजल में बायोडीजल का कंसन्ट्रेशन 5% तक बढ़ा दिया जायेगा.

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