राजनीति

चढूनी ने टिकैत के बयान को बताया ड्रामेबाजी; कहा-जब तक दिल्ली में नहीं घुसेंगे, तब तक नहीं पड़ेगा असर

सोनीपत : केंद्र सरकार के तीनों खेती कानूनों के विरोध में 11 महीने से चल रहे आंदोलन की आगे क्या रणनीति हो, इसको लेकर किसान नेताओं Kisan Leaders ने मंथन शुरू कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन Bhartiya Kisan Union की हरियाणा इकाई (चढ़ूनी गुट) के प्रदेश प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी Gurnam Singh Chadhuni ने इसे लेकर हरियाणा Haryana के तमाम किसान संगठनों की 7 नवंबर को जींद की जाट धर्मशाला Jat Dharmshala में बैठक बुला ली है।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों से बैठक करते गुरनाम सिंह चढूनी। - Dainik Bhaskar

इसी बैठक में रणनीति बनाई जाएगी कि किसानों आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाया जाए? दिल्ली बॉर्डरों पर भीड़ कैसे बढ़े? और 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरा होने के बाद आगे इसे किस तरफ ले जाया जाए? इस बैठक में हरियाणा के किसान संगठन Farmer’s Association जो भी फैसला लेंगे, उसे संयुक्त किसान मोर्चा के सामने रखा जाएगा।

जब तक दिल्ली में नहीं घुसेंगे, तब तक असर नहीं पड़ेगा

चढ़ूनी ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और भारतीय किसान यूनियन Bhartiya Kisan Union के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत Rakesh Tikait के उस बयान को ड्रामेबाजी बताया जिसमें टिकैत ने 27 नवंबर को दिल्ली घेरने की बात कही थी। जींद में पत्रकारों के सवाल पर चढ़ूनी ने कहा] ‘पहले भी ट्रैक्टरों से दिल्ली घेरकर क्या कर लिया? यह सिर्फ ड्रामेबाजी है। हम सिर्फ काम करना जानते हैं। केंद्र सरकार और भाजपा पर तब तक असर नहीं पड़ेगा जब तक हम दिल्ली Delhi के अंदर नहीं घुसते।

हमारी दुश्मन जनता नहीं है। हमको लोगों का सहयोग लेकर दिल्ली में घुसना चाहिए और संसद को घेरना चाहिए। वहां धरना, प्रदर्शन और तंबू तो गाड़ ही सकते हैं।’ चढ़ूनी से जब पूछा गया कि यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं या संयुक्त किसान मोर्चा के, तो उन्होंने कहा कि यह उनके निजी विचार हैं और इसे अभी तक उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के सामने नहीं रखा है। हालांकि इतना तय है कि अगर सरकार सड़कें खाली करवाती है तो ये स्टैंड किसानों को लेना पड़ेगा।

सिंघु बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत करते किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी।

सिंघु बॉर्डर पर बढ़ेगी किसानों की संख्या

चढ़ूनी इससे पहले सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर भी पहुंचे और वहां के हालात का जायजा लिया। उन्होंने वहां डटे किसानों से बातचीत की और फिर सिंघु बॉर्डर पर ही भाकियू के अपने पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस मीटिंग में 11 महीने से चल रहे किसान आंदोलन की समीक्षा की गई और फिर 7 नवंबर को जींद की जाट धर्मशाला में पूरे हरियाणा के किसान संगठनों की संयुक्त बैठक बुलाने का फैसला लिया गया।

चढ़ूनी और उनके साथियों ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने का फैसला भी लिया। चढ़ूनी ने कहा कि हरियाणा में उनकी यूनियन के हर ब्लॉक से 100-100 आदमी अब स्थायी रूप से सिंघु बॉर्डर पर रहेंगे। इसे लेकर उन्होंने पदाधिकारियों की ड्यूटी लगा दी है। आंदोलन के और लंबा खिंचने पर क्या किया जा सकता है? बैठक में इस पर भी विचार किया गया।

पीएम आवास पर जाने के प्रस्ताव पर चर्चा 9 को

चढ़ूनी के अनुसार, किसान-मजदूर यूनियन ने प्रस्ताव दिया है कि किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने पर 26 नवंबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के सामने मोर्चा लगाया जाए। यह प्रस्ताव उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के सामने रख दिया है। इस पर मोर्चा 9 नवंबर की बैठक में कोई फैसला लेगा।

टिकरी बॉर्डर खुलने से अफरातफरी

हरियाणा के दिल्ली से लगते टिकरी बॉर्डर पर रास्ता खोलने संबंधी सवाल पर चढ़ूनी ने कहा कि वहां किन हालात में एंबुलेंस और दोपहिया वाहनों के लिए रास्ता खोलने का फैसला लिया गया, इस पर वह कुछ नहीं कहेंगे। हां, इस फैसले से लोगों में अफरातफरी जरूर है। किसान संगठन केंद्र सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि दिवाली से पहले किसानों पर किसी भी तरह का एक्शन लिया गया तो फिर किसानों की दिवाली प्रधानमंत्री आवास पर ही मनेगी।

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