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भिवानी: माँ का सपना बेटा पूरा न कर पाया तो बेटी ने दिखाई हिम्मत; जहाँ 28 साल तक किया नर्स के रूप में काम, उसी जगह बेटी बनी डॉक्टर

भिवानी : हरियाणा के भिवानी में जिस अस्पताल में मां ने अपने जीवन के 28 साल मानवता की सेवा में बिता दिए, उसी अस्पताल में उसकी बेटी ने डॉक्टर बनकर उसका सपना पूरा कर दिया। जी हां हम यहां बात कर रहे हैं भिवानी के नागरिक अस्पताल की सीनियर नर्सिंग आफिसर सरला कुमारी की।

सरला कुमारी की बेटी अंजलि ने हाल ही में एमबीबीएस के बाद मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया द्वारा आयोजित फोरगेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई) में देशभर में 181वां रेंक हासिल कर क्वालिफाई किया है। फिलहाल सरला की बेटी डॉ. अंजली महता भिवानी के नागरिक अस्पताल के बाल रोग विभाग में प्रशिक्षु चिकित्सक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। 

सरला ने 1994 में बतौर स्टाफ नर्स किया था ज्वाइन 

सरला ने भी 1994 में भिवानी के नागरिक अस्पताल से ही स्टाफ नर्स बनकर अपने करियर की शुरूआत की थी। लगातार 28 सालों तक सरला नागरिक अस्पताल के विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी संभालती रही। फिलहाल सरला कोविड वार्ड की इंचार्ज के तौर पर कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में फ्रंट लाइन वर्कर के तौर पर मानवता की सेवा में जुटी है। भिवानी निवासी सरला कुमारी स्वास्थ्य विभाग में बतौर सीनियर नर्सिंग आफिसर हैं। उनके दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा शशांक महता बीटेक करने के बाद नोएडा में जॉब कर रहा है। जबकि छोटी बेटी डॉ. अंजली महता ने हाल ही में चीन से एमबीबीएस की है। 

दाखिले के समय नोटबंदी बनी थी मुसीबत  

सरला बताती हैं कि बेटी को डॉक्टर बनाने में काफी कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ा। बेटी को दूसरी बार में  दाखिला परीक्षा में कामयाबी मिली तो नवंबर 2016 में देश में नोटबंदी हो गई और दाखिला के लिए पैसों का इंतजाम करने में भी पसीने छूट गए। काफी दिक्कतों के बाद पैसों का जैसे तैसे इंतजाम हुआ और दाखिला हो गया। बेटी एमबीबीएस बनकर जब उसके सामने आई तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। 

बेटी को सेवा करते देख मिलता है सुकून 

सरला का कहना है कि बतौर स्टाफ नर्स जब वह अपने आसपास डॉक्टरों को देखती और उनका मरीजों के प्रति जो लगाव और सेवा भाव होता था, उससे काफी प्रभावित होती थी। उसने भी मन में ठान ली थी कि बेटी को डॉक्टर जरूर बनाऊंगी। अब जिन वार्डों में वह कभी नर्स बनकर मरीजों की सेवा करती थी, उसी जगह पर उसकी बेटी अब एक डॉक्टर की हैसियत से उन मरीजों की सेवा कर रही हैं, जिसे देखकर दिल को सुकून मिलता है। 

सरला कुमारी हमारे अस्पताल की बहुत ही होनहार कर्मचारी है, मैंने खुद उसके साथ काफी सालों तक काम किया है। उनकी बेटी अंजली भी उन्हीं के नक्शे कदम पर हैं और बतौर प्रशिक्षु चिकित्सक यहां सेवाएं दे रही हैं।  हमें यह देखकर बहुत अच्छा लगता है। सरला की मेहनत और लग्न ही बेटी को डॉक्टर बना पाई हैं, जिससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है। – डॉ. रघुबीर शांडिल्य, सिविल सर्जन भिवानी। 

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